लखनऊ में सिंधी समाज ने मनाया थदड़ी पर्व ; लगाया बासी भोजन का भोग ,

 

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
सिंधी समाज ने रविवार को थदड़ी पर्व पर मां शीतला देवी की आराधना कर कोरोना से समाज को मुक्ति की कामना की। सिंधी समाज द्वारा घर में चूल्हा नहीं जलाया गया। घर की बड़ी महिला ने नारियल की बलि देकर पूजन किया। मां को बासी भोजन का भोग लगाया गया। बताया कि एक दिन पहले मीठी रोटी, पूड़ी, सब्जी, भिंडी की सब्जी के साथ ही सिंधी समाज का मुख्य पकवान कढ़ी को बना लिया गया था। सुबह नारियल की बलि के साथ मां शीतला देवी को भाेग लगाने के बाद घर के लोगों ने इसका सेवन किया।

इसलिए मनाया जाता है थड़दी पर्व: सिंधी समाज का थदड़ी पर्व पर ठंडा भोजन और मां से शीतलता की प्रार्थना के लिए मनाया जाता है। इस शब्द का सिंधी भाषा में अर्थ होता है ठंडी-शीतल। रक्षाबंधन के आठवें दिन मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर मान्यता है कि मोहन जोदड़ो की खुदाई में मां शीतला देवी की प्रतिमा निकली थी। उन्हीं की आराधना में यह पर्व शुरू हुआ था। दैवीय आपदाओं से निपटने के लिए और बच्चों को चेचक जैसी बीमारी से मुक्त करने की कामना को लेकर यह पर्व मनाया जाने लगा। इस दिन गरम भोजन नहीं बनता। इस दिन घरों में ताजा भोजन नहीं बनता है। औरतें बासी भोजन का भोग लगाती हैं। शीतला माता को भोग लगाने के बाद लोग बासी भोजन को ग्रहण करते हैं।