अच्छे विचारो से करे जीवन में उजाला

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
राष्ट्रहित का गला घोंटकर
छेद न करना थाली में ।
मिट्टी वाले दीये जलाना
अबकी बार दीवाली में।
देश के धन को देश में रखना
नहीं बहाना नाली में।
मिट्टी वाले दीये जलाना
अबकी बार दीवाली में।
” बने जो अपनी मिट्टी से
वो दिये बिकें बाज़ारों में।
” छुपी है वैज्ञानिकता अपने
सभी तीज़-त्यौहारों में।
” चायनिज़ झालर से आकर्षित
कीट-पतंगे आते हैं।
” जबकि दीये में जलकर
बरसाती कीड़े मर जाते हैं।

” कार्तिक दीप-दान से बदले
पितृ-दोष खुशहाली में।
” मिट्टी वाले दीये जलाना
अबकी बार दीवाली मे।
” मिट्टी वाले दीये जलाना
अब की बार दिवाली मे।
” कार्तिक की अमावस वाली
रात न अबकी काली हो।
” दीये बनाने वालों की भी
खुशियों भरी दीवाली हो।
” अपने देश का पैसा जाये
अपने भाई की झोली में।
” गया जो दुश्मन देश में पैसा
लगेगा रायफ़ल गोली में।
” देश की सीमा रहे सुरक्षित
चूक न हो रखवाली में।
” मिट्टी वाले दीये जलाना
अबकी बार दीवाली में।
” मिट्टी वाले दीये जलाना
अबकी बार दीवाली में।