बाबा नीब करौरी महाराज का जन्मोत्सव : चमत्कारों से भरा है पावन कैंची धाम

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
बाबा नीब करौरी महाराज जी को हनुमान जी का अवतार कहा जाता है। मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर बाबा नीब करौरी महाराज जी का जन्म हुआ था। बाबा नीब करौरी का जन्म अकबरपुर , उत्तरप्रदेश में हुआ था। बाबा नीब करौरी महाराज का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। वैसे तो बाबा नीब करौरी महाराज जी के देश – दुनिया में कई मंदिर है, लेकिन इन सबमें सबसे अधिक महत्व उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित कैंची धाम का है। कैंची धाम में लगने वाले 15 जून के मेले में बाबा के भक्तों का तांता लग जाता है। कैंची धाम की स्थापना स्वंय बाबा नीब करौरी महाराज ने की थी।

सेवा का महत्व सौंदर्य से अधिक है। सौंदर्य सिर्फ भौतिक रूप से मुग्ध कर सकता है , परंतु आत्मा को वास्तविक आनंद की प्राप्ति तो सेवा से ही संभव हो सकती है। और इसकी एक सुंदर पंक्ति लिखी है ‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई’ अर्थात दूसरों की भलाई से बढ़कर कोई भी धर्म नहीं हैं। धार्मिक ग्रंथों में भी सच्ची सेवा उसे माना गया है जिसके पीछे परहित की भावना हो। हमें सेवा की भावना को जीवन में आवश्यक व्रत के रूप में ग्रहण करना चाहिए। बच्चों में सेवाभाव विकसित करने के लिए परिवार और विद्यालय सबसे आदर्श संस्था हैं। अभिभावकों और शिक्षकों का दायित्व है कि वे स्वयं बच्चों के समक्ष अपने आचरण से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें, जिसे देखकर बच्चों में सेवा भाव का संस्कार उत्पन्न हो।

“कैंची धाम- कैंची धाम नैनीताल से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कैंची धाम से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता है। यहां पर मांगी गई हर मुराद को बाबा नीब करौरी महाराज पूरा करते हैं।”

1964 में की गई कैंची धाम की स्थापना…
पावन कैंची धाम की स्थापना 1964 में की गई थी। ऐसा कहा जाता है कि बाबा नीब करौरी महाराज 1961 में पहली बार कैंची धाम आए थे।
आडंबरों से हमेशा रहते थे दूर बाबा नीब करौरी महाराज साधारण जीवन जीने में विश्वास रखते थे। बाबा अपने पैर किसी को नहीं छूने देते थे। अगर कोई उनके पैर छूने की कोशिश करता तो वह उस व्यक्ति को श्री हनुमान जी महाराज के पैर छूने को कहते थे।

चमत्कारों से भरा है कैंची धाम…
बाबा नीब करौरी महाराज का पावन कैंची धाम चमत्कारों से भरा है।

बाबा ने कई लीलाएं रच भक्तों की मदद की…
बाबा रोजाना कई तरह की लीलाएं रच अपने भक्तों की मदद करते थे। बाबा ने 11 सितंबर, 1973 को वृंदावन में अपने शरीर का त्याग किया।
बाबा नीब करौरी महाराज हमेशा कंबल ओड़ा करते थे। कैंची में आने वाले भक्त बाबा नीब करौरी महाराज को कंबल भी भेंट करते हैं। बाबा की लीलाओं का जिक्र कई किताबों में लिखा जा चूका हैं।