परिजन की मृत्‍यु पर क्‍यों मुंडवाते हैं सिर के बाल ? जाने वजह

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
हिंदू धर्म में जन्‍म से लेकर मृत्‍यु और उसके बाद अगले जन्‍म तक की यात्रा के लिए पाप-पुण्‍य , रीति-रिवाज बताए गए हैं. परिजन की मृत्‍यु पर परिवार के लोग कुछ रीति-रिवाज करते हैं, ताकि मृतक की आत्‍मा को शांति और मुक्ति मिल सके. इन रीति-रिवाजों में परिजनों का बाल देना या मुंडन कराना भी शामिल है. सिर मुंडवाने की इस पृथा के पीछे गरुड़ पुराण में कुछ महत्‍वपूर्ण कारण बताए गए हैं।

मृत्‍यु के बाद परिजनों के सिर मुंडवाने और दाढ़ी बनवाने के रीति-रिवाज में उन परिजनों की शिखा या चोटी कभी नहीं काटी जाती है। जो हमेशा चोटी रखते हैं. इस चोटी को काटने का प्रावधान हिंदू धर्म में नहीं है. गरुण पुराण के अनुसार मृतक की आत्मा मृत्‍यु के बाद भी शरीर छोड़ने के लिए तैयार नहीं रहती है. वह यमराज से याचना करके यमलोक से वापस आती है और अपने परिजनों से संपर्क करने की कोशिश करती है. शरीर न होने के कारण वह संपर्क करने के लिए परिजनों के बालों का सहारा लेती है. लिहाजा ऐसा न हो पाए इसलिए परिजन सिर मुंडवाते हैं. ताकि आत्‍मा उनके मोह से मुक्‍त हो सके. व्‍यक्ति के निधन के बाद उसके परिजनों द्वारा सिर मुंडवाना मृतक के प्रति प्रेम और सम्‍मान जताने का एक जरिया भी है. मृतक के प्रति कृतज्ञता दर्शाते हुए लोग अपने बाल कटवा लेते हैं।

क्‍योंकि बालों के बिना सुंदरता अधूरी हैशव में कई तरह बैक्‍टीरिया पनप जाते हैं. ऐसे में शव को अंतिम संस्‍कार के लिए ले जाने और अंतिम संस्‍कार करने के दौरान पुरुष परिजन उसके संपर्क में आते हैं. स्‍नान के बाद भी जीवाणु बालों में चिपके न रह जाएं, इसलिए चेहरे के बाल हटवा दिए जाते हैं। बच्‍चे के जन्‍म और किसी व्‍यक्ति की मृत्‍यु के कारण परिवार में सूतक लगता है. यानी कि कुछ दिनों तक परिवार के लोगों को अशुद्ध माना जाता है. सिर मुंडवाने पर ही सूतक पूरी तरह से खत्‍म होता है।