रूह कपांने वाली हैं अजीब परंपराएं , शव के किए जाते हैं। कई टुकड़े

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
सभी धर्म के लोगो की अलग ही परम्पराएं होती हैं। फिर वो चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम सिख हो या ईसाई , सभी लोगो की अपनी ही परम्पराएं हैं। हर धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार करने की अपनी परंपराएं हैं। जैसै हिंदू धर्म मौत के बाद शव को जलाने की परंपरा है , वहीं ईसाई और मुस्लिम धर्म में शवों को दफना दिया जाता है. इसी तरह अलग – अलग देशों में शवों का अंतिम संस्‍कार करने की अलग- अलग परंपराएं हैं लेकिन इनमें से कुछ तो बहुत ही अजीब हैं. अंतिम संस्‍कार करने के कुछ तरीके तो ऐसे हैं कि जिन्‍हें जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे.

नहीं बहा सकते आंसू-
किसी अपने के बिछड़ने के गम में आंसू आना एकदम सामान्‍य बात है. बल्कि कई बार तो लोगों को इस गम से उबरने में लंबा समय लग जाता है. लेकिन इंडोनेशिया के बाली में मृतक को जीवित की तरह माना जाता है. माना जाता है कि वह अभी सो रहा है. इसके चलते यहां किसी की मौत पर आंसू बहाने की भी मनाही होती है. लोग अपनों के मरने पर रोते नहीं है.

ऊंची चट्टानों पर लटका देते हैं शव-
चीन और फिलीपींस में मान्‍यता है कि यदि शव को ऊंचाई पर लटका दिया जाए तो उसकी आत्‍मा सीधे स्‍वर्ग जाती है. इसलिए यहां कई जगहों पर व्‍यक्ति की मौत के बाद उसके शव को ताबूत में रखकर ऊंची चट्टानों पर लटका दिया जाता है.

घर में ही करते हैं दफन-
वहीं दक्षिणी मैक्सिको के मायन में अधिकांशत: शव को घर में ही दफना दिया जाता है, ताकि परिजन मरने के बाद भी अपने ही घर में अपनों के पास रहे. हालांकि इसके पीछे एक वजह गरीबी का भी होना है क्‍योंकि यहां कई लोगों के पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वे बाहर जाकर मृतक का अंतिम संस्‍कार कर सकें.

शरीर में लौट आए आत्‍मा-
वियतनाम में कई जगहों पर माना जाता है कि यदि मृतक की आत्‍मा को पूरी शिद्दत से पुकारा जाए तो वह अपने शरीर में फिर से प्रवेश कर सकती है. इसके लिए इंसान की मौत के बाद उसका बड़ा बेटा या बेटी शव के कपड़ों को उतारकर हवा में लहराता है और अपने मृतक को पुकारता है, ताकि उसकी आत्‍मा लौट आए.

शव के कर देते हैं छोटे-छोटे टुकड़े-
तिब्बत के बौद्ध समुदाय में इंसान की मौत के बाद उसके शव के छोटे-छोटे टुकड़े कर उन्हें गिद्धों को खिला दिया जाता है. इसे स्‍काई बुरियल कहा जाता है, यानी कि आसमान में अंतिम संस्‍कार करना. मान्‍यता है कि ऐसा करने से गिद्ध की उड़ान के साथ व्‍यक्ति की आत्‍मा भी उड़कर स्‍वर्ग तक पहुंच जाती है। वैसे शव को गिद्धों को खिलाने की परंपरा पारसी समुदाय में भी निभाई जाती है. इस समुदाय के लोग टॉवर ऑफ सायलेंस में बहुत ऊंचाई पर शव को रख देते हैं, जिसे गिद्ध खा लेते हैं. मुंबई में टॉवर ऑफ सायलेंस है।