सुप्रीम कोर्ट फैसला, बेघर होंगे यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री, खाली करने होंगे सरकारी आवास

SC final

लखनऊ:- सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिये आवास सुविधा को समाप्त कर दिया है। जिसके बाद अखिलेश सहित सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी अावास खाली करने होंगे। इसके पहले भी एक बार सुप्रीमकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास का नियम रद कर दिया था लेकिन तब यूपी की तत्कालीन अखिलेश सरकार नया कानून ले अाई थी।
लेकिन एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सुविधा से वंचित कर दिया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के कानून को अमान्य घोषित किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि कोई शख्स एक बार मुख्यमंत्री का पद छोड़ देता है तो वह आम आदमी के बराबर हो जाता है। अदालत ने कहा कि यूपी सरकार ने कानून में संशोधन कर जो नई व्यवस्था दी थी, वह असंवैधानिक है। शीर्ष अदालत के इस फैसले को यूपी सरकार के लिए झटका माना जा रहा है।

बता दें कि साल 2016 में भी सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ की याचिका पर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला छोड़ने का निर्देश दिया था लेकिन अखिलेश सरकार ने तब पुराने कानून में संशोधन कर यूपी मिनिस्टर सैलरी अलॉटमेंट ऐंड फैसिलिटी अमेंडमेंट एक्ट 2016 विधानसभा से पास करा लिया था और सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला की सुविधा दिलाई थी। उत्तर प्रदेश सरकार के इस संशोधन को करीब 2 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है और सभी पूर्व सीएम को झटका देते हुए उनसे बंगला छोड़ने को कहा है।

किन पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिले थे सरकारी बंगले
एनडी तिवारी, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह, अखिलेश यादव, मायावती और राम नरेश यादव। इन सभी को लखनऊ में सरकारी बंगले दिए गए थे। राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह और मायवती के पास 2-2 सरकारी बंगले हैं।

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कब मिला मुख्यमंत्रियों बंगला

मुलायम सिंह यादव को 5 विक्रमादित्य मार्ग आवंटित है. जोकि अप्रैल 1991 में उन्हें मिला था।
मायावती को जून 1995 में 13 ए मॉल एवेन्यू आवंटित हुआ था।
राजनाथ सिंह को 4 कालीदास बंगला नवम्बर 2000 में आवंटित हुआ है।
कल्याण सिंह को 2 मॉल एवेन्यू जुलाई 1992 में आवंटित हुआ है।
जबकि नारायण दत्त तिवारी को नवम्बर 1989 में 1 ए माल एवेन्यू आवंटित हुआ था।
राम नरेश यादव को अप्रैल 1980 में 12 माल एवेन्यू आवंटित हुआ था।
अखिलेश यादव को अक्टूबर 2016 में 4 विक्रमादित्य मार्ग आर बंगला आवंटित हुआ था।

बसपा और सपा में तो इसी बात की होड़ ही रही कि कौन अपना बंगला ज्यादा बड़ा और भव्य बनवा सकता है। मायावती के हर कार्यकाल के बाद उनका बंगला नए सिरे से संवारा गया। मुलायम सिंह यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में विक्रमादित्य मार्ग के दो बंगलों को एक करवा लिया। उनके पुत्र अखिलेश इस मामले में उनसे भी आगे रहे। अपने कार्यकाल में ज्यादातर समय तक वे पांच कालीदास मार्ग पर अपने पिता के साथ रहते रहे। मगर कार्यकाल पूरा होने के पहले उन्होंने मुख्यमंत्री के आवास के तौर पर अपने लिए एक बहुत बड़ा बंगला ढूंढ़ लिया। जिसके मेंटीनेंस में करोड़ों खर्च किये गये।