परिवहन विभाग के ड्राइवर ने किया मानवता को शर्मसार

ब्यूरो चीफ ट्रांस गोमती
दीपक सिंह गौर
चिलचिलाती धूप में हर किसी का मुंह सूख जाता है , छोटे – छोटे बच्चे चौराहों पर पानी बेचते हुए नजर आते हैं , लेकिन इन बच्चों की मेहनत और आवश्यकताओं को गाड़ी में बैठा हुआ व्यक्ति शायद समझ नहीं पाता है , मामला टेढ़ी पुलिया चौराहा का है समय लगभग दोपहर 12:45 ,गाड़ी नंबर UP3DK1095 महमूदाबाद के तरफ से एक सिटी बस टेढ़ी पुलिया चौराहा लखनऊ पहुंची ,चौराहे के ठीक पहले पानी बेच रहे लगभग 5 -6 बच्चे जिनकी उम्र लगभग 10-12 साल रही होगी, बस के दोनो तरफ पानी पानी की आवाज लगाना शुरू कर दिए , बस में बैठे कुछ यात्रियों ने पानी लिया और तुरंत पैसा दे दिया , तब तक बस ड्राइवर ने शीशा खोला और बच्चों से पानी मांगा तमाम बच्चे तुरंत पीछे चले गए लेकिन एक बच्चा आगे बढ़कर ड्राइवर को पानी दे दिया, पीछे खड़े बच्चों ने तुरंत आवाज लगाई पानी मत देना पैसा नहीं मिलेगा, लेकिन तब तक 10 -11 साल का मासूम जो पानी बेच रहा था , बस के ड्राइवर को पानी दे चुका था , पानी लेते ही ड्राइवर साहब ने शीशा बंद कर लिया बच्चा पैसे के लिए बस के बगल कुछ दूर तक दौड़ता रहा , लेकिन महोदय ने पैसा नहीं दिया बस चली गई एक उदास निगाहों से बच्चा बस की तरफ देखता रहा, हमसे भी रहा नहीं गया , मैंने भी बस का पीछा किया और मामा चौराहे के ठीक पहले शंकर जी की प्रतिमा वाले तिराहे पर हमने उनको रोका और उनसे पूछा कि आपने पानी लिया पैसा क्यों नहीं दिया ? तो ड्राइवर साहब ने बड़े ही रोब के साथ बताया कि बच्चे हमारे बस के पास आते हैं पानी बेचते हैं कभी-कभी चढ भी जाते हैं तो मैं भी उनसे किराया नहीं लेता हूं , लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर उस चौराहे पर यह छोटे बच्चे पानी ना बेच रहे होते तो ड्राइवर साहब की प्यास कैसे बुझती , अगर इसी तरह बस के हर ड्राइवर एक पानी उन छोटे बच्चों से बिना पैसे दिए ले ले तो शाम के समय वह बच्चे जो कड़ी धूप में मेहनत करके जो पानी बेच रहे हैं कितना पैसा कमा लेंगे ? क्या बस के ड्राइवर अपने पैसे से पानी भी नहीं पी सकते हैं ? क्या मानवता समाप्त हो चुकी है ? बिल्कुल भी ऐसा नहीं है कुछ चंद लोग ही इस तरह की हरकत करते हैं समाज को ऐसे लोगों का पहचान करना होगा , ताकि ऐसे लोगों को दंडित किया जा सके और करना भी बहुत आवश्यक है ,अगर परिवहन विभाग के किसी अधिकारी के पास यह मैसेज पहुंचता है तो ऐसे व्यक्ति ऊपर कार्यवाही जरूर होनी चाहिए ! अब देखना यह होगा की शासन प्रशासन की तरफ से आखिर कार्यवाही कब होती है और क्या कार्यवाही होती है। या ऐसे ही इन छोटे गरीब बच्चों का शोषण होता रहेगा?