राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन पर दो दिवसीय व्यवहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारम्भ

वकील चांद की रिपोर्ट
रीडर टाइम्स न्यूज़
लखनऊ : भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के उपकार्यलय क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, लखनऊ में राष्ट्रीय स्तर पर आई. पी. एम. पर दो दिवसीय व्यवहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय की उप निदेशक डॉ. सुनीता पांडेय, रीजनल सेन्ट्रल आई. पी. एम. सेंटर, लखनऊ के प्रभारी डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह तथा मुख्यालय फरीदाबाद के कैपेसिटी बिल्डिंग ईकाई के प्रभारी ज्ञानेश्वर बंछोर एवं अन्य पदाधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया  कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से भारत सरकार के वनस्पति संरक्षण सलाहकार डॉ जे. पी. सिंह बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे तथा सभी प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित किया। अपने उद्बोधन में वनस्पति संरक्षण सलाहकार, भारत सरकार ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से देश में स्थित 36 सेंट्रल आई. पी.एम. सेंटर के सभी अधिकारी एवं तकनीकी कर्मचारी प्रशिक्षित हो रहे है

परिणामस्वरुप विभिन्न केन्द्रों के प्रशिक्षित तकनीकी विशेषज्ञ भारत सरकार द्वारा अपनाये गए एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन के उद्देश्यों एवं लाभ को सुगमता से किसानों तक पहुँचाने में सफल होंगे। डॉ. सिंह ने कहा कि आई.पी.एम. फसल संरक्षण हेतु एक प्रभावी विकल्प साबित हो रहा है तथा साथ ही देश में रसायनमुक्त कृषि उत्पादों के उत्पादन एवं निर्यात से किसानों की आय दोगुनी करने में भी मदद मिल रहा है। रीजनल सेन्ट्रल आई.पी.एम. सेंटर, लखनऊ के प्रभारी डॉ. ज्ञान प्रकश सिंह ने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित आई. पी. एम. पर दो दिवसीय व्यवहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूप-रेखा तथा उपयोगिता के बारे में बताया डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह ने कहा कि किसान अपनी फसलों को संरक्षित करने हेतु रासायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध एवं अनुचित प्रयोग कर रहे हैं परिणामस्वरुप कृषि उत्पादों में रासायनिक कीटनाशकों के अवशेष प्राप्त हो रहे हैं जो मनुष्यों में कैंसर जैसी तमाम बीमारियों का प्रमुख कारण बन रहा है। उन्होंने ने कहा कि फसल संरक्षण हेतु एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है जिससे फसल संरक्षण में किसानों द्वारा किये जा रहे अंधाधुंध एवं अनुचित रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से बचा जा सकता है जिससे कृषक गुणवत्तायुक्त एवं बगैर रसायन के फसल उत्पादन करके अधिक लाभ कमा सकते हैं।

मुख्यालय फरीदाबाद की उप निदेशक डॉ. सुनीता पाण्डेय ने एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आई.पी.एम.) की वर्तमान प्रासंगिकता तथा लाभ के बारे में प्रतिभागियों को अवगत कराया तथा साथ ही उन्होंने कहा कि आई.पी.एम वनस्पति संरक्षण के साथ-साथ प्रकृति एवं पर्यावरण को सुरक्षित भी रखता है। मुख्यालय फरीदाबाद के कैपेसिटी बिल्डिंग ईकाई के प्रभारी ज्ञानेश्वर बंछोर द्वारा प्रतिभागियों को किसान खेत पाठशाला संचालन के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी। उन्होंने बताया कि किसानों तक आई,पी.एम. तकनीकी को पहुँचाने में भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे किसान खेत पाठशाला की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने बताया कि देश में स्थित विभिन्न सेन्ट्रल आई.पी.एम. केन्द्रों द्वारा संचालित किये जा रहे किसान खेत पाठशाला किसानों तक एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन तकनीकी को पहुँचाने में सफलता की ओर निरंतर अग्रसर है। कार्यक्रम के प्रथम दिन सभी प्रतिभागियों को जैव -कीटनाशक प्रयोगशाला में विशेषज्ञों द्वारा प्रयोगात्मक रूप से जैव-कीटनाशक बनाने की विधियों के बारे में बताया गया।