सेक्स पूरी तरह से हैं दोतरफ़ा मामला : जाने सेक्स रूल्स,

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
सेक्स के बारे में महिलाओं और पुरुषों की थिंकिंग में बेसिक यानी बुनियादी फ़र्क़ होता है. जहां पुरुष झटपट और जोश से भरा सेक्स चाहते हैं, वहीं महिलाएं लंबे समय तक चलनेवाले सेक्स में विश्वास करती हैं. पर अंतरंग संबंध सही मायने में तभी पूरा माना जा सकता है, जब महिला-पुरुष दोनों एक-दूसरे को समझें. एक-दूसरे की इच्छाओं का सम्मान करें.

यह पूरी तरह से दोतरफ़ा मामला है –
हालांकि सभी मामलों में नहीं, पर ज़्यादातर मामलों में पुरुष सेक्स को लेकर थोड़े जल्दबाज़ क़िस्म के होते हैं. वे अपनी संतुष्टि और अपनी इच्छाओं को ज़्यादा अहमियत देते हैं. जैसे कि सेक्स को हिंदी में संभोग कहा जाता है. यानी वह क्रिया, जिसमें दोनों पार्टनर्स का इन्वॉल्वमेंट समान रूप से होना चाहिए. महिलाएं चाहती हैं पुरुष यह बात समझें कि सेक्स पूरी तरह से दोतरफ़ा मामला है. ऑर्गैज़्म या ओरल सेक्स की अहमियत अगर पुरुषों के लिए है तो वे भी इसमें समान हिस्सेदारी चाहती हैं.

सेक्स कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है –
आज की दुनिया में हर कोई दूसरे से आगे रहना चाहता है. चाहे बात हमारी रियल ज़िंदगी की हो, सोशल मीडिया पर मौजूदगी की. धीरे-धीरे हम इतने प्रतिस्पर्धी हो जाते हैं कि निजी रिश्तों में यह बात आ जाती है. और तो और अंतरंग पलों में भी आगे रहने वाली बात आ जाती है. पर आपको यह समझना चाहिए कि सेक्स कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, जहां आपको पहले क्लाइमेक्स तक पहुंचना है. पहले क्लाइमेक्स पर पहुंचना जीतने वाली बात नहीं है. अधिकतर महिलाएं सेक्स को आहिस्ता-आहिस्ता की जानेवाली गतिविधि के तौर पर देखती हैं. फ़ोरप्ले और आफ़्टरप्ले को काफ़ी अहमियत देती हैं. तो पुरुषों के लिए यह रहा रूल नंबर दो.

यह दो मशीनों का मिलन नहीं है, फ़ीलिंग्स लाएं –
पुरुषों के बारे में यह बात काफ़ी कही सुनी जाती है कि उनको ऑर्गैज़्म तक पहुंचने के लिए फ़ीलिंग्स की ज़रूरत नहीं होती. वे बिना मानसिक रूप से इन्वॉल्व हुए अंतरंग पलों का भरपूर आनंद उठा लेते हैं. पर महिलाओं के मामले में यह पूरी थ्योरी उल्टी है. महिलाएं जब तक अपने पार्टनर से भावनात्मक रूप से अटैचमेंट महसूस नहीं करतीं, तब तक वे सेक्स के लिए कंफ़र्टेबल नहीं हो पातीं. वे रिश्ते में सेक्स से ज़्यादा प्यार की भूखी होती हैं. तो अगर आप चाहते हैं कि वे अंतरंग पलों में पूरे मन से आपके साथ हों तो उन्हें प्यार दें. उन्हें भावनात्मक रूप से क़रीब लाएं. आख़िरकार आप दोनों मशीनें नहीं हैं, इंसान हैं. मशीनों और इंसानों में फ़र्क़ फ़ीलिंग्स का ही है.

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फ़ीलिंग्स लाएं –
पुरुषों के बारे में यह बात काफ़ी कही सुनी जाती है कि उनको ऑर्गैज़्म तक पहुंचने के लिए फ़ीलिंग्स की ज़रूरत नहीं होती. वे बिना मानसिक रूप से इन्वॉल्व हुए अंतरंग पलों का भरपूर आनंद उठा लेते हैं. पर महिलाओं के मामले में यह पूरी थ्योरी उल्टी है. महिलाएं जब तक अपने पार्टनर से भावनात्मक रूप से अटैचमेंट महसूस नहीं करतीं, तब तक वे सेक्स के लिए कंफ़र्टेबल नहीं हो पातीं. वे रिश्ते में सेक्स से ज़्यादा प्यार की भूखी होती हैं. तो अगर आप चाहते हैं कि वे अंतरंग पलों में पूरे मन से आपके साथ हों तो उन्हें प्यार दें. उन्हें भावनात्मक रूप से क़रीब लाएं. आख़िरकार आप दोनों मशीनें नहीं हैं, इंसान हैं. मशीनों और इंसानों में फ़र्क़ फ़ीलिंग्स का ही है.