भगवान शिव के आसुंओं से बना हैं रुद्राक्ष – सावन के महीने में होता हैं बहुत महत्व ,

रिपोर्ट : डेस्क रीडर टाइम्स
सावन का महीना चल रहा है. इस पवित्र माह में शिव जी की पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होती है. इस दौरान शिव भक्त भी कई तरह के उपाय करके भोलेनाथ को प्रसन्न करने में लगे रहते हैं. इन्हीं में से एक उपाय है सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करना. सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने का भी बहुत महत्व हैं. लेकिन इसे धारण करने से पहले कुछ नियमों को जान लेना बेहद जरूरी है.

रुद्राक्ष कैसे बना?
शास्त्रों में रुद्राक्ष को पूजनीय माना जाता है. मान्यता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के आसुंओं से बना हैं. इसलिए इसे चमत्कारिक और अलौकिक माना जाता है. कहते हैं कई सालों तपस्या करने के बाद जब शिवजी ने अपनी आंखें खोली तो उनके आंखों से गिरे आंसुओ से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई.

कहते हैं कि सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है. मान्यता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष को नियमानुसार धारण कर लें वह जीवन में हर तरह के संकटों से छुटकारा पा लेता है और उसे अकाल मृत्यु का डर भी नहीं रहता. आइए जानते हैं रुद्राक्ष धारण करने के नियम.

जानें रुद्राक्ष धारण करने के नियम –
– रुद्राक्ष की माला धारण के लिए सोमवार या सावन शिवरात्रि को सबसे अच्छा दिन माना गया है. ध्यान रखें की रुद्राक्ष की माला में कम से कम 27 मनके होने चाहिए. इसे धारण करने के लिए पहले लाल कपड़े पर रुद्राक्ष को रखकर मंदिर में रख दें और ऊं नम: शिवाय का जाप करें.

– रुद्राक्ष की माला को गंगाजल से पवित्र कर लें और डुबोकर रख दें. किसी संकल्प से इसे धारण कर रहें हैं तो पहले हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लें. फिर गंगाजल से इसे धोकर धारण कर लें.

– रुद्राक्ष को हमेशा स्नान करने के बाद धारण करना चाहिए और सोने से पहले इसे पवित्र स्थान पर उतार कर रख देना चाहिए.

– रुद्राक्ष की माला धारण करने के लिए हमेशा पीले या लाल धागे का इस्तेमाल करना चाहिए.