प्रिंस हैरी और मेगन ने शादी में गिफ्ट लेने से किया इनकार ,चैरिटी को डोनेशन देने की अपील की

final 2

आज भारत में  20 लाख गैर सरकारी संगठन हैं . लेकिन वह जमीनी हकीकत से दूर है और वास्तविकता में कार्य न के बराबर करते है. ऐसे में ब्रिटेन के प्रिंस हैरी और हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री मेगन मर्केल ने जो विश्वास मायना महिला फाउंडेशन के कार्यो को देखते हुआ किया है वह काबिले तारीफ़ है .

ब्रिटेन के प्रिंस हैरी और हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री मेगन मर्केल शनिवार यानी  आज 19 मई को शादी के बंधन में बंध जाएंगे. इस शाही शादी को लेकर सभी उत्साहित है. प्रिंस हैरी राजगद्दी के छठे दावेदार हैं,  प्रिंस हैरी को तीन उपाधियां दी गई हैं। वे ड्यूक ऑफ ससेक्स, अर्ल ऑफ डम्बार्टन और बैरन किलकील के पद से पहचाने जाएंगे। शादी में राजपरिवार का हिस्सा बनने के बाद मेगन मार्केल को भी डचेज ऑफ ससेक्स की उपाधि से जाना जाएगा। मेगन शाही परिवार की पहली ‘डचेज ऑफ ससेक्स’ होंगी, जबकि प्रिंस हैरी भी परिवार के इतिहास में दूसरे शख्स होंगे जिन्हें ड्यूक ऑफ ससेक्स कहा जाएगा।

final 0

शनिवार को शाही शादी में दुनियाभर की कई बड़ी हस्तियों के साथ भारत की भी मौजूदगी रहेगी। हैरी और मेगन ने बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के साथ मुंबई के डब्बावालों को भी निमंत्रण दिया है।  खास बात ये है कि प्रिंस हैरी और मेगन ने अपनी शादी में गिफ्ट लेने से इनकार कर दिया है। इसके बजाय उन्होंने लोगों से चैरिटी को डोनेशन देने की अपील की है। दोनों ने जिन चैरिटी को डोनेशन के लिए कहा है उनमें से 6 ब्रिटेन में हैं।

विंडसर महल में होने वाली इस शादी की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. जहां कुछ लोग इस शादी को टीवी और अपने मोबाइल स्क्रीन पर देखेंगे वहीं भारत के एक परमार्थ संगठन की चार महिलाएं भारतीय साड़ी में इस शाही शादी में शामिल होंगी. यह महिलाएं मुंबई के ‘ मायना महिला फाउंडेशन ’ की हैं. मेगन मर्केल और प्रिंस हैरी ने फैसला किया है कि शादी में आने वाले मेहमान उन्हें तोहफे देने के बजाय उनके चुने सात परमार्थ संगठनों में से किसी एक को पैसे दे दें. जिसके लिए मुंबई के ‘ मायना महिला फाउंडेशन ’ का चुनाव किया गया है.

final
‘मायना महिला फाउंडेशन की स्थापना 23 वर्षीय सुहानी जलोटा ने 2015 में की थी. यह संस्था मुंबई की झुग्गी बस्तियों की महिलाओं को मासिक धर्म में स्वच्छता उत्पादों एवं रोजगार के अवसर आदि मुहैया कराता है. मायना फाउंडेशन के इस शाही शादी में शामिल होने से पहले इसकी संस्थापक सुहानी जलोटा ने कहा, ”हमें इसके पब्लिक अनाउंसमेंट के एक महीना पहले ही इस बारे में पता चल गया था. हम इसको लेकर बहुत उत्साहित हैं लेकिन जब हमें पहली बार इसके बारे में पता चला तो हम शॉक हो गए. हम सब इसका हिस्सा बनकर अपने आपको बहुत खुशनसीब मान रहे हैं.”

इन सात संगठनों में चुने गए इस संस्थान को ऐसे दान से क्या मिलेगा और क्या यह अपना लक्ष्य पाने में सफल होगा ? इस बारे में  सुहानी ने कहा, “हमारे पास आज भारत में  20 लाख गैर सरकारी संगठन हैं. उनमें से अधिकतर की पहुंच आम लोगों तक नहीं है या जमीनी स्तर पर काम नहीं कर रहे हैं जैसा की उन्हें करना चाहिए. इसलिए, इस तरह के माहौल के कारण एनजीओ सेक्टर की विश्वसनीयता खो गई है. इस तरह का कदम हमें अपने आपको स्थापित करने में सहायता करता है और हमारे संगठन की विश्वसनीयता बढ़ाता है.”  इस शाही शादी में सुहानी कच्चे आम के रंग की साड़ी पहन कर शामिल होंगी. इसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि वे कुछ ऐसा पहनना चाहती थीं जो पारम्परिक हो और भारत का प्रतिनिधित्व करता हो इसीलिए उनकी टीम ने साड़ी पहनने का फैसला लिया.