आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें।
ऊँ जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता।।
ऊँ जय सरस्वती माता।
चन्द्रवदीन पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी।।
ऊँ जय सरस्वती माता।
बाएँ कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गले मोतियन माला।।
ऊँ जय सरस्वती माता।
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठि मंथरा दासी, रावण संहार किया।।
ऊँ जय सरस्वती माता।
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो।।
ऊँ जय सरस्वती माता।
धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्दर करो।।
ऊँ जय सरस्वती माता।
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे।।
ऊँ जय सरस्वती माता।