रीडर टाइम्स डेस्क
शुभांशु शुक्ला का स्टेम सेल प्रयोग न केवल अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बल्कि कैंसर जैसे गंभीर रोगो के इलाज में भी उम्मीद जगाता हैं अगर यह धरती पर लागु हो गया तो लाखो मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती हैं …

ईसरो के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन आईएसएस में एक अनोखा प्रयोग किया जो कैंसर के इलाज में करती ला सकता हैं शुभांशु एक्सिओम मिशन 4(Ax-4) का हिस्सा बनकर 25 जून 2025 को स्पेस एक्स के फाल्कन ९ रॉकेट से अंतरिक्ष में गए थे। उनकी 18 दिन की इस यात्रा में कई वैज्ञानिक प्रयोग हुए जिनमे स्टेम सेल पर शोध खास तौर पर चर्चा में हैं। ओस प्रयोग को समझते हैं कि यह कैंसर के इलाज में कैसे मदद कर सकता हैं।
स्टेम सेल क्या हैं –
स्टेम सेल हमारे शरीर कि मूल कोशिकाएं होती हैं जो नै कोशिकाओं में बदल सकती हैं ये कोशिकाएं शरीर के किसी भी हिस्से जैसे हड्डी मास पेशी या खून को ठीक कलरने में मदद कर सकती हैं धरती पर इन्हे प्रयोगशाला में उगाना मुश्किल होता हैं लेकिन अंतरिक्ष कि माइक्रोग्रैविटी कम गुरुत्वाकर्षण में ये कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं बेहतर तरीके से काम करती हैं।
कैंसर के इलाज में कैसे मदद मिलेगी –
तेजी से कोशिका विकास –
अंतरिक्ष में स्टेम सेल तीन गुना तेजी से बढ़ते हैं इससे वैज्ञानिक कैंसर कि प्रगति को जल्दी समझ सकते हैं और नै डावाओ का परीक्षण कर सकते हैं।
दवा कि खोज –
प्रयोग में दो दवाओं फेड्राटिनिब और रेबोसिनीव का टेस्ट किया गया जो कैंसर कोशिकाओं कि वृद्धि रोक सकती हैं।
प्रतिरोधक क्षमता –
अंतरिक्ष में स्टेम सेल कि उम्र बढ़ने और प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर का अध्ययन हुआ इससे कैंसर से लड़ने कि क्षमता बढ़ाने में मदद मिल सकती हैं।
3D मॉडल –
अंतरिक्ष में बनी कोशिका संरचनाये धरती पर कैंसर के व्यवहार को समझने में मदद करेगी जो इलाज को सटीक बना सकती हैं।
अंतरिक्ष कि खासियत –
अंतरिक्ष कि माइक्रोग्रैविटी में कोशिकाएं धरती की तुलना में अलग तरीके से बढ़ती हैं गुरुत्वाकर्षण न होने से कोशिकाओं में जमा होने कि समस्या नहीं होती जिससे गुणवत्ता बेहतर होती हैं।
शुभांशु ने कहा कि इस शोध को करने पर मुझे गर्व हैं क्योकि यह भारत और वैश्विक विज्ञानं के लिए एक पुल का काम कर रहा हैं। इस प्रयोग में कई चुनौतियां भी हैं अंतरिक्ष में विकिरण स्टेम सेल को नुक्सान पंहुचा सकता हैं। जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता हैं वैज्ञानिक को इस रिस्क को कम करने का तरीका ढूढ़ना होगा। फिर भी अगर यह सफल रहा तो भविष्य में अंतरिक्ष में स्टेम सेल फैक्ट्री बनाई जा सकती हैं जो कैंसर और अन्य बीमारियों के लिए कोशिकाएं उपलब्ध कराएगी।