वित्त मंत्री जेटली ने खारिज की पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कटौती की मांग, लोग ईमानदारी से भरें टैक्स

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केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोगों से अपील की है कि तेल पर निर्भरता कम करने के लिए वे ईमानदारी से टैक्स दें। पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की संभावना को आज एक तरह से खारिज करते हुए कहा कि इस तरह का कोई भी कदम नुकसानदायक हो सकता है, इसके साथ ही उन्होंने लोगों से कहा कि वे अपने हिस्से के टैक्स का ईमानदारी से भुगतान करें, जिससे पेट्रोलियम पदार्थों पर राजस्व के स्रोत के रूप में निर्भरता कम हो सके |

 

वरिष्ठ बीजेपी नेता और केन्द्र सरकार में वित्त मंत्री अरुण जेटली (फिलहाल स्वास्थ्य लाभ के लिए अवकाश पर) ने एक लेख लिखते हुए दो टूक कहा है, कि देश में सस्ता पेट्रोल-डीजल देना सरकार के बस में नहीं है, वित्त मंत्री के मुताबिक मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में यदि सरकार अपने राजस्व को कम करते हुए पेट्रोल-डीजल पर आम आदमी को राहत देने का काम करती है, तो उसके सामने कांग्रेस सरकार वाली परिस्थिति पैदा हो जाएगी जहां विकास कार्यों के लिए उसे विदेशी बैंकों से कर्ज का सहारा लेना पड़ेगा |

 

 

जेटली ने कहा कि बीते चार साल में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान केन्द्र सरकार के राजस्व और जीडीपी के अनुपात में अच्छा सुधार दर्ज हुआ है, जहां कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में यह औसत 10 फीसदी था, वहीं मोदी सरकार में यह 11.5 फीसदी दर्ज हुआ है, जेटली के मुताबिक इस वृद्धि का आधा इजाफा यदि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की कमाई से दर्ज हुआ है, तो वहीं दूसरा आधा गैर पेट्रोल-डीजल पर एकत्र हुए राजस्व के कारण है, इनमें इनकम टैक्स और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के जरिए राजस्व में इजाफा अहम है |

 

रोजगार के मुद्दे पर जेटली ने कंस्ट्रक्शन में डबल डिजिट ग्रोथ, इनवेस्टमेंट में बढ़ोतरी, ऊंचे एफडीआई, इनसॉल्वेंसी के जरिए एनपीए अनलॉकिंग, मैन्युफैक्चरिंग में बढ़ोतरी और इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च बढ़ने का जिक्र करते हुए कहा कि रोजगार के मौके बनाने वाले सभी सेक्टर अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘सोशल सेक्टर की स्कीमों, खासतौर पर फाइनेंशियल इनक्लूजन प्रोग्राम से स्वरोजगार की लहर चली है।’ जेटली ने फॉर्मर फाइनेंस मिनिस्टर पी चिदंबरम का नाम लिए बिना कहा, ‘एक फॉर्मर फाइनेंस मिनिस्टर ने यह फंसाने वाला सुझाव दिया था कि पेट्रोल पर लगने वाले टैक्स में 25 प्रति लीटर की कटौती की जानी चाहिए। हालांकि उन्होंने खुद कभी ऐसा नहीं किया।

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जेटली ने कहा, ‘यह फंसाने वाला सुझाव है। ऐसा करने पर भारत ऐसे कर्ज में दब जाएगा, जिससे निकलना मुमकिन नहीं होगा।’ उन्होंने कहा कि ऑयल के दाम में बढ़ोतरी से राज्यों को बड़ा फायदा हुआ है और उन्हें उसका फायदा कंज्यूमर्स को देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकारें ऑयल पर ऐड वेलोरम टैक्स लेती हैं, जिससे ऑयल का दाम बढ़ने पर राज्यों की कमाई बढ़ती है।’ जेटली ने कहा कि इकॉनमी और मार्केट्स ने बुनियादी सुधारों, खर्च में कटौती और मैक्रो इकॉनमिक स्टैबिलिटी पर फोकस को सही साबित किया है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार सोच-विचार करके खर्च करने और मैक्रो इकनॉमिक लिहाज से अपने जिम्मेदार व्यवहार के लिए जानी जाती है।

 

 

नौकरियां बढ़ेंगी:जेटली के मुताबिक, एक विश्लेषण बताता है कि निर्माण क्षेत्र दो अंकों में बढ़ रहा है। ये नौकरियां लाने वाला सेक्टर है। निवेश का क्षेत्र भी बढ़ रहा है। घरेलू निवेश भी बढ़ रहा है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में भी आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई है। मैन्यूफैक्चरिंग और ग्रामीण परियोजनाओं में पैसा लगाया जा रहा है। सामाजिक क्षेत्र की योजनाएं ने स्वरोजगार के क्षेत्र में काम कर रही हैं। चिदंबरम कहते हैं कि पकौड़े तलकर नौकरियां नहीं आ सकतीं। राहुल गांधी का मानना है कि ढाबा, स्टार्ट अप के लिए लॉन्च पैड का काम कर सकता है। वंशवादी पार्टियों में राजनीतिक पद विरासत में मिलते हैं, बुद्धि नहीं।

 

जेटली ने कहा कि नई प्रणाली में अनुपालन के ऊंचे स्तर के बावजूद गैर-तेल कर के मामले में भारत अभी भी टैक्स अनुपालन वाला समाज नहीं बन पाया है. उन्होंने कहा , ‘‘ वेतनभोगी वर्ग टैक्स अनुपालन वाला है. दूसरे वर्गों को अभी इस बारे में अपना रिकॉर्ड सुधारने की जरूरत है