11 पन्नों की गुमनाम खत ने खोले भय्यूजी की मौत के कई राज, पत्‍नी आयुषी पर लगे आरोप

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दिवंगत संत भय्यू महाराज के जीवन में उसी दिन से कलह ने घर बना लिया था, जिस दिन डॉ. आयुषी ने उनसे विवाह किया था।डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्र के पास बृहस्पतिवार को एक गुमनाम खत पहुंचा है जिसमें आयुषी पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। खत में लिखा है कि जिस दिन से डॉ. आयुषी से भय्यू जी ने शादी की उसके बाद से ही उनकी जिंदगी में उथल-पुथल शुरू हो गई थी। आयुषी ने जहां भय्यूजी को परिवार वालों से अलग करना शुरू कर दिया था वहीं बेटी कुहू से भी दूरी बनाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था।

पत्र में आरोप लगाया गया है कि उसकी नजरें उनकी प्रॉपर्टी और कैश पर भी थी। यह सारे आरोप डॉ. आयुषी पर उस खत में लगाए गए हैं। बताया जा रहा है कि 11 पन्नों का यह पत्र महाराज के सेवादार ने ही भेजा है। पत्र में आश्रम और परिवार की गोपनीय बातों का भी उल्लेख किया गया है। डीआइजी ने पत्र की सच्चाई जांचने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि भय्यू महाराज ने गत दिनों इंदौर स्थित अपने घर में खुदकशी कर ली थी।

बता दें कि डीआईजी हरिनारायणचारी को यह पत्र बृहस्पतिवार को मिला है। पत्र में लिखा है कि वह भय्यू महाराज का विश्वसनीय सेवादार है लेकिन उसकी हत्या की जा सकती है इसलिए उसने अपना नाम नहीं बताया है। उसने पत्र में लिखा है कि वह महाराज का सच्चा सेवादार था और उनकी मौत का राज जानता है। और वह चाहता है कि भय्यूजी को मौत तक पहुंचाने वाले को सजा मिले।

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गुप्त सेवादार के मुताबिक, भय्यू महाराज पिछले दो साल से मानसिक तनाव में थे। डॉ. आयुषी से शादी के बाद वह अकेला महसूस करने लगे थे। उनकी दूसरी पत्नी ने निगरानी करनी शुरू कर दी थी। वह आश्रम और घर में होने वाली बैठकों की जानकारी लेने लगी थीं। महाराज से जुड़े हर व्यक्ति और उनके पास आने वालों का हिसाब सेवादार और नौकरों से रखने लगी थीं।

पत्र में लिखा है, ‘आयुषी महाराज की पहली पत्नी माधवी के बारे में चर्चा करने पर भड़क जाती थीं। घर में लगी उसकी तस्वीरों को हटवा दिया था। उन्होंने महाराज की बेटी कुहू से बात करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। महाराज को कई बार करीबियों से छुपकर बातें करना पड़ती थीं। डॉ.आयुषी ने अपनी मां रानी और पिता अतुल शर्मा को इंदौर बुलाया और सिल्वर स्प्रिंग फेज-2 में मकान दिलवा दिया।

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भाई अभिनव और चाचा उमेश शर्मा को आश्रम में काम पर लगवा दिया। उमेश तो आश्रम से 50 हजार रुपये महीना वेतन भी लेने लगा था। पत्र में यह भी लिखा है कि डॉ. आयुषी महाराज की प्रॉपर्टी (आश्रम और बंगले) हथियाना चाहती थीं। इन सब वजहों से महाराज तनाव में रहने लगे। घर के माहौल के कारण उनकी बहनों और बहनोइयों ने आना बंद कर दिया। तनाव इतना बढ़ा कि महाराज को आत्महत्या करनी पड़ी।’

आयुषी की माँ ने पत्र बताया फर्जी

डॉ. आयुषी की मां रानी शर्मा ने कहा कि आश्रम और घर से जुड़े बहुत सारे लोग हैं, जो घर बिगाड़ने की फिराक में हैं। पत्र लिखने वाला भी घर का व्यक्ति है। वह नहीं चाहता कि सब कुछ सामान्य हो। पत्र में लिखी बातों में जरा भी सच्चाई नहीं है। इस पर सीएसपी व जांच अधिकारी मनोज रत्नाकर का कहना है कि मैंने करीब 30 लोगों के बयान लिए हैं, लेकिन किसी ने इस तरह के आरोप नहीं लगाए।