क़ब्रों पे किस से पूंछते क़ल्बो ज़ेहन का हाल,
अपनी ज़मीं को आग की दहशत में झोंक कर,
लाशें बिछा के ख़ून की नहरें निकाल कर,
‘ मेहदी ‘ हर एक बज़्म में नग़मा सुनाए गा,
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