होलिका दहन मुहूर्त : 20:58:38 से 24:23:45 तक
अवधि : 3 घंटे 25 मिनट
भद्रा पूंछ : 17:34:15 से 18:35:34 तक
भद्रा मुख : 18:35:34 से 20:17:45 तक
रंग वाली होली : 21 मार्च 2019 को मनाई जाएगी।
रंगो के त्यौहार होली आने वाली है . होली का त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है . पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन सबको रंग लगाया जाता है . होली के पहले 8 दिनों का समय होलाष्टक कहलता है . इन दिनों में किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक भी खत्म हो जाता है. 14 मार्च से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 21 मार्च तक होलाष्टक रहेगा .
इस अवधि में भोग से दूर रह कर तप करना ही अच्छा माना जाता है . इसे भक्त प्रह्लाद का प्रतीक माना जाता है . सत्ययुग में हिरण्यकशिपु ने घोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान पा लिया . वह पहले विष्णु का जय नाम का पार्षद था, लेकिन शाप की वजह से दैत्य के रूप में उसका जन्म हुआ था . उधर भगवान विष्णु ने अपने भक्त के उद्धार के लिये अपना अंश उसकी पत्नी कयाधू के गर्भ में पहले ही स्थापित कर दिया था, जो प्रह्लाद के रूप में पैदा हुए . प्रह्लाद का विष्णु भक्त होना पिता हिरण्यकशिपु को अच्छा नहीं लगता था . न मानने पर उसे भक्ति से रोकने के लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को बंदी बना लिया . जान से मारने के लिए यातनाएं दीं, इसी प्रकार सात दिन बीत गए . आठवें दिन अपने भाई हिरण्यकशिपु की परेशानी देख उसकी बहन होलिका, जिसे ब्रह्मा जी ने अग्नि से न जलने का वरदान दिया था, प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठाकर अग्नि में प्रवेश कर गई, प्रह्लाद पूरी तरह सुरक्षित रहे और होलिका जल कर ख़त्म हो गई . देवकृपा से वह स्वयं जल मरी . नृसिंह भगवान ने हिरण्यकशिपु का वध किया . तभी से भक्ति पर आए इस *संकट के कारण इन आठ दिनों को होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है। इस अवधि में कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए .








