सारा जग है नयन पसारे धुंधला धुंधला है उजियारा
Jan 02, 2019
सारा जग है नयन पसारे धुंधला धुंधला है उजियारा,
बांह से बांह का नाता टूटा देंह से लिपटा है अंधियारा।
बाट बाट में काँटा कंकर बिछुआ सांप की बस्ती है,
मौत खड़ी मुस्काये द्वारे भाप बनी सब हस्ती है,
आई जहां से वहीँ जाना कहती नादिया की है धारा।
बांह से बांह का नाता टूटा देंह से लिपटा है अंधियारा।
लोभ किया जिस जिस से हमने दूर हुआ वह पल पल हम से,
कांधा कांधा झुका हुआ है बोझ बड़ा माया का दम से,
हाथ पसारे जाना हो गा जग ने बनाया किस को प्यारा।
बांह से बांह का नाता टूटा देंह से लिपटा है अंधियारा।
महल दोमहला बाग बगीचा माटी में मिल जाता है,
भोर की लाली के संग – संग ही बंजारा यह गाता है,
लुटा बटोही बिन आहट के हो जाता है वारा न्यारा।
बांह से बांह का नाता टूटा देंह से लिपटा है अंधियारा।
अमृत उस के भाग्य में होता जिस ने दिल पर राज किया है,
अपना तन – मन मारे पल छिन मानवता का काज किया है,
उन्ही के पद चिन्हों पर चल कर जीवन पाता प्रिय किनारा।
बांह से बांह का नाता टूटा देंह से लिपटा है अंधियारा।

मेहदी अब्बास रिज़वी
” मेहदी हल्लौरी “