Home  Breaking News  CBI मामला : दिल्ली हाई कोर्ट ने अस्थाना से जुड़ी फाइल के निरीक्षण की अनुमति दी अलोक वर्मा को 
                               CBI मामला : दिल्ली हाई कोर्ट ने अस्थाना से जुड़ी फाइल के निरीक्षण की अनुमति दी अलोक वर्मा को
                                Nov 29, 2018
                                                                
                               
                               
                                
नई दिल्ली :- भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की ओर से दायर रिपोर्ट पर सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। कोर्ट ने सीबीआइ के निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक एके शर्मा को मंजूरी दे दी है कि वे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के केस की फाइलों की जांच कर सकें। नरीमन ने सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए आलोक वर्मा के जवाब लीक होने पर दलील दी कि मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकते हैं।
 
 
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा का सीलबंद जवाब मीडिया में लीक होने पर नाराजगी जताई थी। सीजेआई रंजन गोगोई ने यह कहते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी कि आप सब सुनवाई के काबिल नहीं हैं। तब नरीमन ने सीलबंद जवाब लीक होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था और कहा था कि रिपोर्ट कैसे लीक हुई, उन्हें नहीं पता।
 
 
सीबीआई डायरेक्टर अलोक वर्मा की तरफ से वरिष्ठ वकील फली नरीमन और स्पेशल सीबीआई डायरेक्टर राकेश अस्थाना की तरफ से मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए हैं।
 
 
दूसरी तरफ अंडमान ट्रांसफर किए गए अधिकारी ए. के. बस्सी के वकील राजीव धवन ने आज चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से कहा कि पिछली सुनवाई में आपने कहा था कि हम सब सुनवाई के काबिल नहीं हैं। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण था। तब चीफ जस्टिस ने धवन से कहा कि आपको पूरा सुना जाएगा। कृपया आप शांत रहें। इसपर धवन ने कहा कि वह शांत हैं। दोपहर दो बजे तक मामले की सुनवाई टालने के बाद शीर्ष अदालत ने फिर इसकी सुनवाई शुरू की।
 
 
लंच के बाद फिर से शुरू हुई बहस में दुष्यंत दवे ने कहा कि सीबीआई के फैसलों में सीवीसी या फिर सरकार जैसे किसी तीसरे पक्ष का दखल नहीं होना चाहिए | दवे के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से कपिल सिब्बल ने बहस की, सिब्बल ने कहा कि सीवीसी और सरकार एक्ट की अनदेखी और मनमानी कर सीबीआई निदेशक को छुट्टी पर नहीं भेज सकती | नियुक्ति और हटाने या निलंबन के आदेश सिर्फ सेलेक्शन कमेटी कर सकती है | ये मामला कमेटी के पास भेजना था | अगर ऐसे फैसलों और प्रक्रिया को हम मंज़ूर करेंगे तो सीबीआई की स्वायत्तता का क्या मतलब रह जाता है? अगर कमेटी के अधिकार सरकार हथिया लेगी तो जो आज CBI निदेशक के साथ हो रहा है, वही कल CVC और ECI के साथ भी हो सकता है |
 
 
उन्होंने कहा कि ट्रांसफर में नियमों का पालन नहीं किया गया है | नरीमन ने कहा कि आलोक वर्मा की नियुक्ति 1 फरवरी 2017 को की गई थी | नियमानुसार उनका कार्यकाल पूरे दो साल तक है | अगर उनका ट्रांसफर ही करना था तो सेलेक्शन कमेटी करती |
 
 
कोर्ट में नरीमन ने सीवीसी का आदेश पढ़ते हुए कहा कि सीबीआई अधिकारी से सारी शक्तियां लेकर उनका ट्रांसफर कर दिया गया, जो नियमों के खिलाफ है | अगर सरकार को कुछ गलत लगता तो उसे पहले समिति में जाना चाहिए था | उनसे संपर्क करना चाहिए था |
 
 
नरीमन की दलील पर जज ने पूछा कि अगर सीबीआई डायरेक्ट को घूस लेते रंगे हाथ पकड़ लिया जाए तो क्या कार्रवाई करनी चाहिए | इस पर नरीमन ने कहा कि उन्हें फौरन कमेटी में जाना चाहिए |
 
 
मनीष सिन्हा की याचिका पर नरीमन ने पूछा कि एक मामला कोर्ट में दाखिल हुआ हो और सुनवाई के लिए नहीं आया हो तो क्या छपने पर कार्रवाई हो सकती है? इस पर कोर्ट ने कहा कि सुनवाई पर आने से पहले दाखिल हुई याचिका छापी जा सकती है | उस पर कोई प्रतिबंध नहीं है, सुप्रीम कोर्ट का ही फैसला है कि ये पब्लिश किए जा सकते हैं | भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी आलोक वर्मा ने छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती दी है |
 
 
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ वर्मा के सीलबंद लिफाफे में दिए गए जवाब पर विचार कर सकती है | केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने वर्मा के खिलाफ प्रारंभिक जांच कर अपनी रिपोर्ट दी थी और वर्मा ने इसी का जवाब दिया है |
 
 
पीठ को आलोक वर्मा द्वारा सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को सौंपे गए जवाब पर 20 नवंबर को विचार करना था, किंतु उनके खिलाफ सीवीसी के निष्कर्ष कथित रूप से मीडिया में लीक होने और जांच एजेंसी के उपमहानिरीक्षक मनीष कुमार सिन्हा द्वारा एक अलग अर्जी में लगाए गए, आरोप मीडिया में प्रकाशित होने पर न्यायालय ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी |
 
 
पीठ द्वारा जांच एजेंसी के कार्यवाहक निदेशक एम नागेश्वर राव की रिपोर्ट पर भी विचार किए जाने की संभावना है | नागेश्वर राव ने 23 से 26 अक्टूबर के दौरान उनके द्वारा लिए गए फैसलों के बारे में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल की है |
 
 
इसके अलावा, जांच एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ शीर्ष अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर भी पीठ सुनवाई कर सकती है | गैर सरकारी संगठन कामन काज ने यह याचिका दाखिल की है | न्यायालय ने 20 नवंबर को स्पष्ट किया था कि वह किसी भी पक्षकारको नहीं सुनेगी और यह उसके द्वारा उठाए गए मुद्दों तक ही सीमित रहेगी |
 
 
सीवीसी के निष्कर्षों पर आलोक वर्मा का गोपनीय जवाब कथित रूप से लीक होने पर नाराज न्यायालय ने कहा था कि वह जांच एजेंसी की गरिमा बनाए रखने के लिये एजेंसी के निदेशक के जवाब को गोपनीय रखना चाहता था | उपमहानिरीक्षक सिन्हा ने 19 नवंबर को अपने आवेदन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केन्द्रीय मंत्री हरिभाई पी चौधरी, सीवीसी के वी चौधरी पर भी सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच में हस्तक्षेप करने के प्रयास करने के आरोप लगाए थे |