Home  राज्य  उत्तरप्रदेश  अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के द्वारा :- लखनऊ के 36वे स्थापना दिवस के अवसर पर ; ‘गोमती नगर प्रेक्षागृह’ में आयोजित हुआ कार्यक्रम , 
                               अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के द्वारा :- लखनऊ के 36वे स्थापना दिवस के अवसर पर ; ‘गोमती नगर प्रेक्षागृह’ में आयोजित हुआ कार्यक्रम ,
                                Mar 02, 2021
                                                                
                               
                               
                                
पत्रकार सौरभ सैनी 
रीडर टाइम्स न्यूज़
: – भदन्त शांति मित्र : अध्यक्ष अंतरष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ 
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान , लखनऊ के 36 वे स्थापना दिवस के अवसर पर दिनांक 28/02/2021 , को संगीत नाटक अकादमी विपिन  खंड , लखनऊ में आयोजित सर्वपंथीय धर्मसभा में बौद्ध भिक्षुगण तथा सभी धार्मिक मतों एंव पंथो के धर्मगुरु भाग ले रहे हैं। सम्पूर्ण मानव  समाज के सामने एक बड़ी चुनौती हैं , सारा विश्व एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा होकर भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से निहार रहा हैं। कि भारत की भूमि से सम्पूर्ण विश्व को धार्मिक डगर में ह्रदय से जोड़ने वाली चल रही आवाज , वह सोच ,वह वाणी कब ओर तीव्र होकर पीड़ित मानवता की रक्षा में वांछित सफलता की मंजिल पर पहुंचेगी। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान इस समय यूपी के प्रत्येक जनपद में विपश्यना साधना के माध्यम से सब पंथो को जोड़कर सम्राट अशोक जैसा धर्म का राज सुदृढ़ करने में गांव स्तर पर सक्रिय हैं। धर्म की सच्चाई की अनुभूति गांव के गरीब किसान और अंत्योदय स्तर तक पहुंचाकर धार्मिक दृष्टि से गांव , देश , दुनिया को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य अभियान के रूप में चल रहा हैं। चलो गांव की ओर की घोषणा करके धर्म सापेक्ष पंथ निरपेक्ष समाज का सृजन क्र रहा हैं। धर्म निरपेक्ष कहना घोर अपराध हैं।
:- बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर द्वारा भारत के सविधान में भी पंथ निरपेक्ष शासन का लक्ष्य निर्धारित हैं। 
:- समाज में अंध विश्वास ,रूढ़िवादिता ,भूतप्रेत पूजा , मादक वस्तुओ का सेवन न करने की जागरूकता बढ़ाने में सक्रिय हैं। 
:- जाति , पंथ , वर्ग , परम्पराओ ,पूजापाठ ,अंध विश्वास , आदि के विवादों और संकीर्णताओं से ऊपर उठकर मानवता और मानवीय मूल्यों की रक्षा में गांव और वार्ड स्तर पर सकारात्मक सोच के सहारे लोक कल्याण कारी कार्यो को अभियान के रूप में चला रहे हैं। 
:- समज को तोड़ने वाले जो धर्मगुरु हैं उनको त्यागने की तेज हवा गांवो से आरम्भ हो गई हैं। 
:- संस्थान के प्रयास से धर्मयुग और धर्मी समाज की स्थापना तेजी से बढ़ रही हैं।