निदेशक यूनानी आतंकी गतिविधियों में लिप्त – अनशनकारी फार्मासिस्ट

पत्रकार सौरभ सैनी
रीडर टाइम्स न्यूज़
27/01/2022 से अनशन पर बैठे बेरोजगार प्रशिक्षित यूनानी फार्मेसिस्टों आज निदेशक यूनानी सेवा पर यह आरोप लगाया कि वह आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं जिसका संरक्षण उन्हें समाजवादी पार्टी द्वारा प्राप्त था। अनशनकारियों का कहना है की 2014 से 2017 तक सपा का कार्यकाल रहा और इस दौरान निदेशक यूनानी ने मनमानी रवैया से जो भी चाहा वह किया, विभागीय जांच से यह पता लगाया जा सकता है। पूछताछ के दौरान यह अफवाह भी सुनने को मिली की निदेशक ने युनानी मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद में किसी नामी आतंकी की एक रात खातिरदारी भी की है जिसकी जांच होनी चाहिए।

इस वर्ष अपने कॉलेज के मेडिकल स्टूडेंट्स को गणतंत्र दिवस के दिन कॉलेज के हिंदू स्टाफ को अंकित करते हुए यह कहते हुए देखा गया है की “कभी किसी से डरना नहीं पहले मारना और उसके बाद मेरे पास आना, मैं सब संभाल लूंगा। 25 केस मेरे ऊपर चल रहे हैं एक और केस झेल लूंगा पर छोड़ना मत।” अनशन पर बैठे फार्मासिस्टों ने यह भी शंका जताई है की 2017 से भाजपा की सरकार सत्ता में है और आज 5 साल पूर्ण हो गए कोई भी ऐसी जगह नहीं बची जहां हमने कार्यवाही करने के लिए आग्रह ना किया हो फिर भी आज तक निदेशक यूनानी पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई, क्या भाजपा सरकार का भी संरक्षण निदेशक को प्राप्त है?

17 मार्च 2021 को यूनानी फार्मासिस्टों के रिट संख्या 6115/2014 और 5970/2014 की अंतिम सुनवाई न्यायाधीश इरशाद अली के समक्ष हुई जिसमें हम भौतिक रूप से मौजूद थे और हम अनुसूचित जाति के फार्मासिस्टों की जीत भी हुई। लेकिन 5 दिनों तक आदेश न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुआ और छठे दिन आदेश बदलकर चीफ जस्टिस / सीनियर जस्टिस को ट्रांसफर कर दिया गया। इस हरकत से अनशन कारी फार्मेसिस्ट बहुत ही हताश हुए और शंका जाहिर की है कि न्यायाधीश इरशाद अली जी पर ऐसा कौन सा दबाव बनाया गया जिसकी वजह से उन्होंने भरी कोर्ट में दिए हुए आदेश को बदल दिया और तब से उनका स्वास्थ्य खराब है ब्रेन हेमरेज की समस्या से पीड़ित हो गए हैं ऐसा उच्च न्यायालय के वकीलों का कहना है यह जांच का विषय है।

हाईकोर्ट के इस कृत्य के बाद युनानी फार्मासिस्ट अपने केस की पैरवी करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। तारीखें उस दिन लग रही थी जिस दिन कोर्ट में जज बैठते ही नहीं , कोर्ट बैठती भी है तो नंबर नहीं आता। इन्हीं कारणों को बर्दाश्त ना कर पाने की दशा में आज अनुसूचित जाति के बेरोजगार प्रशिक्षित ‘यूनानी फार्मासिस्ट’ अनशन पर बैठे हैं और न्याय की गुहार लगा रहे किंतु शासन-प्रशासन / न्यायालय प्रशासन कोई भी सुनने को तैयार ही नहीं है आज 12 दिन हो गए हैं अनशन पर बैठे हुए लेकिन सरकार को वोट की चिंता है नागरिकों की अपने राज्य के युवाओं की नहीं।