डोकलाम जैसे हालात झेल पाना हमारे बस की बात नहीं- चीन

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वुहान में पीएम मोदी और राष्ट्रपति चिनफिंग की मुलाकात से बदले माहौल के बाद चीन ने संकेत दिया है, कि भारत उसके साथ मौजूदा हर तनाव को दूर करने के लिए आगे आए। चीनी राजदूत की तरफ से इस तरह से खुलकर बयान देने की परंपरा नहीं रही है। ऐसे में झाओहुई की तरफ से आए प्रस्ताव को कूटनीतिक सर्किल में चीन की सरकार का प्रस्ताव ही माना जा रहा है।

 

 

क्षेत्रीय संबंधों को मजबूत करने के लिए पेइचिंग ने भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच शिखर सम्मेलन की वकालत की है। भारत में चीन के राजदूत लु झाओहुई ने सोमवार को अनौपचारिक रूप से शंघाई सहयोग संगठन (SCO) से इतर ऐसे समिट की बात कही, जिसमें भारत, चीन के अलावा पाकिस्तान भी शामिल हो। गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पार आतंकवाद के कारण पिछले काफी समय से तनाव है जिसका द्विपक्षीय रिश्तों पर भी असर पड़ा है। ऐसे में चीन की ओर से क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए यह पहल की गई है।

 

 

लु ने आगे भारत-चीन सहयोग के भविष्य पर अपना 4 पॉइंट विजन सामने रखा। उन्होंने बताया, ‘मित्रता और सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर हो, द्विपक्षीय फ्री ट्रेड अग्रीमेंट हो, कनेक्टिविटी बढ़े और सीमा से जुड़े मसलों के जल्दी समाधान खोजे जाएं।

 

 

ट्रेड को लेकर लु ने कहा कि कारोबार असंतुलन को कम करने के लिए चीन अब ज्यादा चीनी, गैरबासमती चावल और उच्च गुणवत्ता की दवाएं भारत से आयात करेगा। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘द्विपक्षीय ट्रेड टारगेट 2022 के लिए 100 अरब डॉलर सेट किया गया है।’ आपको बता दें कि हाल ही में भारत में अनौपचारिक समिट के नई दिल्ली के ऑफर को चीन ने स्वीकार कर लिया था। 2019 में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग वुहान जैसी समिट के लिए भारत आएंगे।

 

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उन्होंने कहा कि ‘कुछ भारतीय मित्रों’ ने भारत, चीन और पाकिस्तान के बीच एक त्रिपक्षीय सम्मेलन का सुझाव दिया है, जो बहुत उम्दा विचार है। यदि चीन, रूस और मंगोलिया के बीच त्रिपक्षीय सम्मेलन संभव है तो चीन, पाकिस्तान और भारत के बीच ऐसा क्यों नहीं सकता है।

 

 

भारत और चीन के संबंधों पर चीनी राजदूत कहा कि सीमा के सवाल को इतिहास पर छोड़ देना चाहिए। मतभेद स्वाभाविक है लेकिन इन्हें आपसी सहयोग बढ़ाकर नियंत्रित किया सकता है। हमें विशेष प्रतिनिधियों की बैठक के जरिए आपसी विश्वास बढ़ाने के उपायों को अपना कर परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशना चाहिए। हम एक और दोकलम खड़ा नहीं कर सकते।

 

 

उल्लेखनीय है कि पिछले साल जून से अगस्त तक भारत, भूटान और चीन सीमा के निकट दोकलम स्थित तिमुहाने पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिनों तक गतिरोध जारी रहा था। इस तनाव की वजह से नाथु-ला की ओर से कैलाश मानसरोवर यात्रा रोक दी गई थी। यही नहीं दोनों देशों के बीच होने वाला सालाना सैन्य अभ्यास भी टाल दिया गया था।

 

भारत और चीन के साथ पाकिस्तान को शामिल करते हुए त्रिपक्षीय बातचीत के सुझाव पर भारत सरकार की ओर से तुरंत प्रतिक्रिया आई, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ‘हमें इस संबंध में चीन सरकार की ओर से कोई सुझाव नहीं मिले हैं, हम इस सुझाव को को राजदूत का व्यक्तिगत विचार मानते हैं, भारत-पाकिस्तान के संबंध स्वाभाविक रूप से पूरी तरह द्विपक्षीय हैं, और इसमें किसी तीसरे पक्ष के शामिल होने की कोई संभावना नहीं है |