अमेरिका भारत के साथ काम कर रहा है, भारत CAATSA प्रतिबंध हटाने के लिए

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अमेरिका का कहना है कि वह ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस ऐक्ट’ (कात्सा) के तहत आने वाली संभावित प्रतिबंधात्मक गतिविधि टालने तथा इसकी पहचान में भारत सहित मित्र देशों की मदद के लिए उनके साथ काम कर रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि वह कात्सा के क्रियान्वयन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, जिसके तहत रूस से महत्वपूर्ण सैन्य उपकरण खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

 

 

विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमने भारत सरकार के साथ कात्सा पर चर्चा की है और अमेरिका संभावित प्रतिबंधात्मक गतिविधि को टालने और इसकी पहचान में भारत सहित अपने साझेदारों की मदद के लिए उनके साथ काम कर रहा है | ’’

प्रवक्ता एक दिन पहले अमेरिकी रक्षामंत्री जिम मैटिस द्वारा दिए गए बयान के संबंध में एक सवाल का जवाब दे रहे थे | बयान में मैटिस ने कात्सा के तहत उन देशों को प्रतिबंधों से छूट देने की बात कही थी जो रूस पर अपनी सैन्य निर्भरता में बदलाव कर रहे हैं |

 

 

अमेरिकी विदेश मंत्री को कात्सा छूट अधिकार प्रदान करते हुए मैटिस ने कहा कि ऐसा किए जाने से देश रूसी सैन्य उपकरणों पर अपनी निर्भरता में लगातार बदलाव करते हुए अमेरिका के साथ करीबी सुरक्षा संबंध बना पाएंगे, मैटिस ने कहा था , ‘‘ हमें अपने से जो मूल सवाल पूछना चाहिए , वह यह है कि क्या हम अपने साझेदारों को महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मजबूत बनाने की इच्छा रखते हैं या फिर उनके लिए रूस के पास जाने के सिवाय कोई अन्य विकल्प नहीं छोड़ते हैं | ’’

 

प्रवक्ता ने कहा कि, ‘‘ प्रशासन अनुच्छेद 231 सहित कात्सा के क्रियान्वयन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, ’’ अनुच्छेद 231 ऐसे किसी भी व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाने की बात करता है, जो जानबूझकर किसी ऐसे व्यक्ति के साथ महत्वपूर्ण लेनदेन के काम से जुड़ता है, जो रूस संघ सरकार के रक्षा या खुफिया क्षेत्र का हिस्सा हो या इनके लिए या इनकी तरफ से काम करता हो |

 

 

कात्सा के तहत भारत पर संभावित प्रतिबंधों के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा , ‘‘ मैं भविष्य की प्रतिबंधात्मक कार्रवाइयों या 2+2 (संवाद) के बारे में कयास नहीं लगाने जा रहा हूं , सिवाय यह कहने कि सामरिक , सुरक्षा और रक्षा सहयोग से संबंधित व्यापक मुद्दों पर चर्चा करेंगे | ’’

 

हालांकि कानून रूस को निशाना बनाने पर केंद्रित है, लेकिन इसका असर भारत पर भी पड़ रहा है जो मॉस्को से लगभग 4.5 अरब डॉलर में पांच S-400 त्रिउम्फ हवाई रक्षा प्रणाली खरीदने की योजना बना रहा है |