राहुल गाँधी ने गडकरी के सहारे साधा मोदी सरकार पर निशाना, ट्वीट में पुछा- नौकरियाँ कहा है यही तो देश जानना चाहता है

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मोदी सरकार में लगातार बेरोज़गारी का मुद्दा उठ रहा है हालांकि सरकार कह रही है कि वो नौकरियों के नए मौके पैदा कर रही है लेकिन चुनावी साल में केंद्रीय नेता नितिन गडकरी ने ख़ुद माना है कि नौकरियों को लेकर संकट बना हुआ है| उन्होनें कहा कि सरकार में भर्तियां बंद है| ये बयान उन्होंने महाराष्ट्र के औरंगबाद में मराठा समाज के लोगों द्वारा आरक्षण की मांग लगातार उठाए जाने के संदर्भ में दिया| गडकरी ने कहा कि निराशा और असुविधा के चलते आरक्षण की मांग हो रही है| उन्होंने कहा कि आरक्षण मिलता भी है तो नौकरियां कहां हैं|

राहुल गांधी ने सोमवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के उस बयान को लेकर मोदी सरकार पर तंज कसा, जिसमें उन्होंने कहा था कि मराठा आरक्षण दिया जाता है तो कोई फायदा नहीं होगा। नौकरियां कहां हैं? कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट में कहा, ‘‘बेहतरीन सवाल, गडकरी जी। आज हर भारतीय यही सवाल पूछ रहा है, नौकरियां कहां हैं?’’वहीं, कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से भी #व्हेयरआरदजॉब्स? हैशटैग से ट्वीट किया गया। राहुल ने पिछले दिनों कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक में भी बेरोजगारी पर चर्चा की थी और कहा था कि इस मसले पर देशभर में प्रदर्शन किया जाएगा|

राहुल अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भी सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रोजगार को लेकर निशाना साधा था| उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के समय दो हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था जो आज जुमला हो चुका है| वहीं प्रधानमंत्री ने राहुल के आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि हमने प्रयाप्त रोजगार दिए हैं|

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर कहा था, ”एक तरीके के लोगों का विचार ये है कि गरीब गरीब होता है| उसकी कोई जाति, पंथ या भाषा नहीं होती है| चाहे कोई भी धर्म हो- मुस्लिम, हिंदू या मराठा जाति, सभी समुदायों में एक हिस्सा ऐसा है जिसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं, खाने के लिए भोजन नहीं है| वहीं एक दूसरा विचार यह भी है कि हमें हर समुदाय में गरीब वर्ग के सबसे गरीबों पर भी विचार करना चाहिए| यह एक सामाजिक-आर्थिक सोच है और इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए|” हालांकि नितिन गडकरी ने बाद में ट्वीट कर सफाई दी| उन्होंने कहा कि सरकार आरक्षण के मापदंड को ‘जाति से आर्थिक परिस्थितियों’ में बदलने की योजना नहीं बना रही है|