ग़ज़ल : अए हवा ज़रा ठहर जा मेरा भी प्याम ले ले, बड़ी देर से खड़ा हूँ मेरा भी सलाम ले ले

rizvi sir 1

अए  हवा  ज़रा  ठहर  जा  मेरा  भी  प्याम  ले  ले,

बड़ी  देर  से  खड़ा    हूँ   मेरा  भी  सलाम  ले  ले।

 

 

नहीं ख़त की है तमन्ना नही अब ख़बर  की चाहत,

यही  जा  के कहना  इतना  कभी मेरा  नाम ले ले।

 

कभी भूल के जो  आये  मेरी  क़ब्र  पर  भी आये,

मेरी  ख़ाक  को  उड़ा  कर  सभी  इन्तेक़ाम ले ले।

 

 

मेरा  ख़्वाब  भूल  बैठा  सभी  उल्फ़तों  के मंज़र,

मुझे   आरज़ू  नही  अब  कोई   मेरा  नाम  ले  ले।

 

छिनी  मयकदे  की  रौनक़  हैं  लगे  जुबां पे ताले,

खड़ा   रास्ते   में  साक़ी  कोई  आये  जाम ले  ले।

 

 

है  हवस  परस्त  दुनियां  इसे  चैन आये क्यों कर,

यही  ख़्वाहिशें हैं  इन की हर इक इंतिज़ाम ले ले।

 

कहाँ जाये अब ये ‘ मेहदी ‘ नहीं  कोई  है ठिकाना,

यही  आरज़ू    है  मेरी  कोई  सुबहो  शाम  ले  ले।

 

मेहदी अब्बास रिज़वी

  ” मेहदी हललौरी “