Home मनोरंजन अब मेरी आहों से फ़रियाद से डर जाता है, मेरे अलफ़ाज़ की तलवार से मर जाता है
अब मेरी आहों से फ़रियाद से डर जाता है, मेरे अलफ़ाज़ की तलवार से मर जाता है
Aug 31, 2018

अब मेरी आहों से फ़रियाद से डर जाता है,
मेरे अलफ़ाज़ की तलवार से मर जाता है।
बनता चंगेज़ है पर दिल है फ़क़त चूहे सा,
रोज़े रोशन में भी चलता है तो गिर जाता है।
सिर्फ़ तारीख़ के पन्नों में सिमटने की सनक,
जो समझता नहीं वह काम भी कर जाता है।
घर बसाने के लिए दुनियां का बेताब मगर,
घर बसाने को नहीं अपने वो घर जाता है।
इक ड्रामा सा वो दुनियां को दिखा जाता है,
भूल कर गावँ में अपने वो अगर जाता है।
कोई भी जीते उसे जिस्म पे लटका लेता,
हार का ताज मगर औरों के सर जाता है।
जब गुज़र होता है चौपाल दहल जाती है,
जान के साथ ही वह क़ल्बो जिगर खाता है।
वह तो अपनों पे भरोसा नहीं कर पाता कभी,
सच्ची बातों को भरी बज़्म में झुठलाता है।
‘मेहदी’ डर डर के उन्हीं क़दमों को देखा करता,
मौत की चाह में जो उस के नगर जाता है।
मेहदी अब्बास रिज़वी
” मेहदी हललौरी “