”रावण” की समय से पहले रिहाई, हो सकती है राजनितिक साजिश

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नई दिल्ली: यूपी में हिंसा के मामलों में रासुका की वजह से पिछले एक साल से जेल में बंद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण को यूपी पुलिस ने रिहा कर दिया है | बाहर आने के बाद चंद्रशेखर ने कहा मायावती मेरी बुआ हैं, हमारा खून एक है | मायावती से बहुत प्यार है, पर अपने समाज का शोषण नहीं होने दूंगा |

 

 

चंद्रशेखर को शुक्रवार तड़के करीब पौने तीन बजे रिहा किया गया | वह बीते साल भर से सहारनपुर की जेल में बंद थे | चंद्रशेखर रावण इंटरव्यू में कहा कि ‘मैं बाहर आ गया हूं | अब बीजेपी को बताऊंगा, कुछ भी करूंगा पर बीजेपी को जीतने नहीं दूंगा, मुझे जल्दी निकालकर हमारे समाज के लोगों के साथ ढोंग कर रहे हैं | मुझे बाहर निकालना सबसे भारी पड़ेगा, मैं डरता नहीं हूं किसी से, पहले अंदर डालो फिर निकालो, हमारा समाज सब समझता है |

 

 

गुजरात के विधानसभा चुनाव में अपनी पहचाने बनाने वाले जिग्नेश मेवाणी अब उत्तर प्रदेश की ओर रुख करने के मूड में हैं। उनकी योजना यहां पर रावण के साथ मिलकर दलित राजनीति को नई धार देने की है। भीम आर्मी संस्थापक आजाद उर्फ रावण की आज तड़के रिहा किया गया। रावण की इस तरह की रिहाई की सियासी गलियारे में जोरदार चर्चा है। माना जा रहा है कि चंद्रशेखर उर्फ रावण की रिहाई के साथ अब उत्तर प्रदेश में गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी की सक्रियता भी बढ़ेगी। फिलहाल इन दोनों का फोकस पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। यहां पर दोनों युवा नेता के आने से चंद्रशेखर के रूप में दलितों का नया नेतृत्व मिल सकता है।

 

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गुजरात के दलित नेता जिग्नेश लंबे समय से रावण के समर्थन में सक्रिय रहे हैं। वह सहारनपुर जेल में रावण के बंद रहने के दौरान भी कई बार शहर तथा ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं। जिग्नेश ने रावण को सहारनुपर से लोकसभा चुनाव लड़ाने का ऐलान भी कर रखा है। रावण की रिहाई हो गई है तो माना जा रहा है कि जिग्नेश तथा रावण प्रदेश में दलित राजनीति को नई गति प्रदान करेंगे।

 

 

गुजरात में आम आदमी पार्टी तथा कांग्रेस की मदद से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव जीतने वाले दलित नेता जिग्नेश मेवाणी के जरिए कांग्रेस चंद्रशेखर पर लगातार डोरे डालती रही है। जिग्नेश मेवाणी ने चंद्रशेखर उर्फ रावण की रिहाई के लिए दिल्ली के साथ वाराणसी में आंदोलन किया था।

 

 

जिग्नेश मेवाणी ने गुजरात में बीते विधानसभा चुनाव में अपनी एक अलक पहचान बनाई है। वह वडगाम निर्वाचन क्षेत्र में गुजरात विधान सभा के एक सदस्य है। उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता और वकील के रूप में काम किया है। उन्होंने 2016 में गुजरात में भारतीय जाति वर्गीकरण में ‘नीच जाति’ के रूप में माने जाने वाले दलितों के हितों के लिए काफी नेतृत्व किया था।

 

 

गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के उना गांव में दलित लोगों पर हमला होने के बाद, गाय संरक्षण समूह के सदस्यों ने दावा किया कि गुजरात भर में विरोध प्रदर्शन हुआ। इसके बाद जिग्नेश मेवानी ने अहमदाबाद से उना तक दलित अस्मिता यात्रा की थी, जो 15 अगस्त 2016 को खत्म हुई। दलित महिलाओं सहित कुछ 20,000 दलितों ने इसमें भाग लिया था।उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए भूमि की मांग की।