बालिका दिवस पर रैली में घंटों भूख प्यास व धूप से बिलबिलाती छात्रा ने तोड़ा दम

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हरदोई रीडर टाइम्स ब्यूरो चीफ:(गोपाल द्विवेदी)

-प्रशासन की बदइंतज़ामी के चलते सुप्रिया शर्मा ने गंवाई जान

-सरकारी रैलियों में क्यों बुलाए जाते हैं स्कूली बच्चे

हरदोई :- शायद ही किसी को न विश्वास हो कि एक बेनामी संस्था के एक व्यक्ति के कहने पर जिले का पूरा प्रशासन रिकॉर्ड बनाने के चक्कर में जुट जाए और स्कूली बच्चों को कड़ी धूप में खड़ा करके बदइंतजामी के चलते एक मासूम की जान ले ले।

 

 

हरदोई में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर आयोजित “बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ” के स्लोगन के साथ स्कूली छात्राओं के महासंगम में “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा लगाते हुए एक पढ़ी-लिखी मासूम छात्रा गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने में अपनी जान ही गंवा बैठी, प्रगति नगर निवासी सुप्रिया शर्मा पुत्री नरेश चंद शर्मा कक्षा 9 की आर्य कन्या पाठशाला इंटर कॉलेज पिहानी चुंगी की छात्रा जीआईसी मैदान में 4 घंटे से ज्यादा वक्त तक कड़ी धूप में “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” नारे के साथ संदेशा देते हुए खुद को कुर्बान कर बैठी।

 

 

पिता नरेश चंद शर्मा का कहना है कि उसकी बेटी सुप्रिया शर्मा जीआईसी प्रांगण में भूखे प्यासे 4 घंटे रहने पर 2 बजे तेजी से बुखार आया और उसे अस्पताल लेकर इमरजेंसी में भर्ती कराया। इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। उनका प्रशासन से साफ कहना है कि ” उन्होंने स्कूल में बिटिया को पढ़ने के लिए भेजा था न कि सरकारी रैलियों की शोभा बढ़ाने के लिए, और बिना मेरी अनुमति के मेरी बची को रैली में ले जाया गया जहाँ इतनी बड़ी संख्या में स्कूली छात्राओं को इकट्ठा करना था तो प्रशासन बच्चों की सुरक्षा के साथ साथ खानपान की व्यवस्था भी करता”

 

 

अब प्रश्न उठता है कि जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा बुलाई गई आर्य कन्या पाठशाला इंटर कॉलेज की छात्राओं व उनके प्रबंधकों ने इस बात की तस्दीक नहीं की कि शामिल होने वाली छात्रा सुप्रिया शर्मा किन हालातों में उसे जीआईसी प्रांगण में भेजा गया, यदि उसकी पहले से ही तबीयत खराब थी तो प्रबंधकों को उसे जीआईसी प्रांगण में नहीं भेजना चाहिए था।बहरहाल सुप्रिया शर्मा द्वारा “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के नारे को बुलंद करती हुई गिनीज बुक में वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज होने का सपना अधूरा छोड़ कर प्रशासन की बदइन्तेज़ामी के चलते दुनिया ही छोड़ गई।

 

 

गौरतलब हो कि कथित डॉ जगदीश पिल्लई चार बार गिनीज बुक में नाम दर्ज करा चुके हैं। पर यूरेशिया वर्ल्ड रिकॉर्ड जैसे रिकॉर्ड के बारे में किसी को जानकारी नहीं है । यूरेशिया वर्ल्ड रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र देने का अधिकार डॉक्टर जगदीश पिल्लई को किसने दिया है ? यह भी जानकारी में लाने की बात है।सूत्र बताते हैं कि जिलाधिकारी से मिलकर डॉ जगदीश पिल्लई ने एक प्रस्ताव रखा कि जिले भर की बच्चियों को एक साथ खड़ा करवाकर “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”का नारा लगवाओ,जिससे विश्व रिकॉर्ड बन जाएगा।

 

 

फिर क्या था ,प्रशासन ने जिले के अधिकतर स्कूलों से परीक्षा निरस्त कराकर बच्चों को सुबह 9 बजे से दोपहर बाद तक जीआईसी स्कूल के खुले मैदान में रिकॉर्ड बनाने के चक्कर में बद इंतजामियों में उपस्थित रखा।लगातार एक ही स्थान पर 5 घण्टे कड़ी धूप में खड़े रहने व पीने का पानी न मिलने से कई बच्चों की तबियत खराब हो गई। हालांकि प्रशासन ने नगर पालिका की पानी की टंकी का इंतजाम अवश्य किया था किंतु इतने बड़े महासंगम में जब इतनी बड़ी कोशिश की जा रही है वह भी नवरात्र के पर्व के चलते, प्रशासन को नाश्ते व पानी की एक-एक बोतल को भी छात्राओं के लिए इंतजाम करनी चाहिए थी।वहीं अधिकतर विद्यालय के अधिकारी व कर्मचारी पेड़ों की छाया में बैठे हुए देखे गए।

 

 

इस घटना से लोगों में रोष व्याप्त है और सोशल मीडिया पर जम के प्रशासन की खिंचाई हो रही है तथा इस मासूम बच्ची की मौत के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की भी मांग की जा रही है। लोगों का कहना है कि प्रशासन द्वारा बरती गई लापरवाही के बाद इंतजाम के पहलुओं पर सघनता से जांच की जाए और आर्य कन्या पाठशाला इंटर कॉलेज पिहानी चुंगी के प्रबंधकों / प्रधानाचार्य से इस बात की तस्दीक की जाए कि छात्रा यदि पहले से बीमार थी, इस बीमारी की हालत में उसे जीआईसी प्रांगण भेजने के लिए किसने मजबूर किया। यह भी जांच का विषय हो सकता है। दोषियों को उजागर करने पर ही सुप्रिया शर्मा के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।