Home मनोरंजन अन्य ग़ज़ल : अब कहां जाएं भला आँखों में पानी ले कर , ज़िन्दगी से जो मिली तशनादहानी ले कर
ग़ज़ल : अब कहां जाएं भला आँखों में पानी ले कर , ज़िन्दगी से जो मिली तशनादहानी ले कर
Nov 23, 2018
अब कहां जाएं भला आँखों में पानी ले कर,
ज़िन्दगी से जो मिली तशनादहानी ले कर।
ज़हन ख़ामोश हैं और लब पे भी हैं ताले जड़े,
जाएँ तो जाएँ कहाँ अपनी कहानी ले कर।
शाख़ सहमी हुई मजबूर खड़ी गुलशन में,
कांपती रहती है कलियों की जवानी ले कर।
ज़ह्र के बोझ से दरिया का बादन जलता है,
कैसे मरकज़ को बढ़ी जाती रवानी ले कर।
न कोई फ़िक्र है तदबीर है न चारगरी,
इल्म जो कुछ मिला रहबर की ज़ुबानी ले कर।
मेरी तन्हाई मुझे रोज़ दिलासा देती,
इक सुबह आये गी अब उस की निशानी ले कर।
कैसी बेदारी है जगते हुए सोते रहते,
हाल बतलाते हैं तो अश्क फ़िशानी ले कर।
किस पे क्या गुज़री है इस फ़िक्र में कोई भी नहीं,
महफ़िलें सजतीं सभी चर्ब ज़बानी ले कर।
अब क़लम पर भी भरोसा न रहा ‘ मेहदी ‘ को,
लफ़्ज़ फ़रियादी है चलता है वो मानी ले कर।

मेहदी अब्बास रिज़वी
” मेहदी हललौरी “