बेटी के बोलने पर पेड़ो को मरने के लिए क्यों छोड़ा गया , पिता ने पेड़ो से कीलें निकालना किया शुरू

पुणे  : बेटी अपने पापा के साथ दिवाली की छुट्टियों में अपने घर आई हुई थी तो उसकी नजर अपने पापा पे गई. उसके पापा गमलों में लगे मुरझाए पौधों को पानी दे रहे थे .पांच साल की हिरकणी ने माधव से पूछा की पापा आप क्या कर रहे हो, तो माधव ने बताया पौधों को काफी दिनों से पानी नहीं दे पाए इसलिए ये पौधे मुरझा गए है .

 

तब हिरकणी ने कहा की ये क्यों मुर्झा जाते है . पिता ने बताया की कई दिनों से इसमें पानी नहीं दे पाए है इसलिए ये मुर्झा गए है . हिरकणी ने कहा पापा हमने इन पौधों को मरने के लिए क्यों छोड़ दिया था. बेटी के इस सवाल से माधव विचलित हो गया . माधव को लगा की मैंने ये बात क्यों नहीं सोची, जबकि मैं जनता हूँ की पेड़ों में संवेदनाएं होती है .

माधव दो तीन महीने तो सोचते ही रहे . होली के दिन एक पेड़ पर नजर गई और उसमे पेड़ों में ठोक दी गईं कीलों पर ध्यान गया.बैनर, विज्ञापन, होर्डिंग लगाने के लिए इस तरह पेड़ों बैनर, विज्ञापन, होर्डिंग लगाने के लिए इस तरह पेड़ों पर कीलों का ठोका जाना उन्हें बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा .

माधव को अपनी बेटी की बात याद आई और माधव ने फिर उसी दिन कील निकलने के औजार ख़रीदे और काम को शुरू कर दिया . मुहिम की शुरुआत पुणे के वड़गांव धायरी के पेड़ों से की। अब माधव की छुट्टिया पेड़ो की कीलें निकलने में बीतती हैं। पेड़ पर कही भी कील लगी हुई देखते है वो उसे निकाल देते है .

पेड़ों को कील-मुक्त करने की मुहिम शुरुआत

माधव पेशे से इंजीनियर पाटिल आंघोलीची गोली नामक संस्था के कार्यकर्ता हैं। माधव कहते है की पेड़ों की वेदना कम होनी चाहिए, इसलिए यह मुहिम जरूरी है। जब माधव के दोस्तों को पता चला की वो पेड़ो से कील निकालने का काम कर रहे है तो उनके दोस्त भी उनके साथ में आ गए और इस काम में उनका सहयोग देने लगे .

दो साल में ही पुणे, मुंबई, सातारा, भंडारा, नासिक जैसे शहरों में पेड़ों से 80 हजार से ज्यादा कीलें निकालने का काम वे संस्था के साथ कर चुके हैं। अभी भंडारा, अहमदनगर, सोलापुर, पुणे, मुंबई, नवी मुंबई, पनवेल में भी पेड़ों को कील-मुक्त करने की मुहिम चल रही है। माधव का कहना है धीरे धीरे पूरे राज्य में इस काम को करना है

पेड़ों से निकाली गईं कीलों से छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा तैयार की जाये

माधव का कहना है कि ट्री एक्ट 1975 के अनुसार पेड़ों को हानि पहुंचाना अपराध है। माधव कहते है रास्तों पर लगे पेड़ सार्वजनिक संपत्ति हैं और उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। सभी का कहना की पेड़ो से निकाले गए किलों से छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा तैयार की जानी चाहिए . लोगो को ये पता होना चाहिए की पेड़ो को कितनी कील ठोक करके उनको कितना दर्द दिया है

सरकार द्वारा पांच हजार रुपए का जुर्माना

पुणे में ही 60 हजार, मुंबई में 10 हजार कीलें निकाली गई हैं. माधव बताते है की राज्यभर में 500 से अधिक कार्यकर्ता मुहिम से जुड़े हैं .माधव के प्रयासों से पिंपरी-चिंचवड़ के आयुक्त ने सार्वजनिक पेड़ों पर कीलें ठोकने को अपराध घोषित कर दिया है। ऐसा करने पर पांच हजार रुपए दंड या तीन महीने की सजा हो सकती है। सरकार ने ये नियम लागू कर दिया है .