एसपी हरदोई को लापरवाही बरतने पर HC लखनऊ बेन्च ने किया तलब

रिपोर्ट शरद द्विवेदी

रीडर टाइम्स न्यूज

हरदोई , एक कहावत है करे कोई और भरे कोई वर्तमान पुलिस अधीक्षक पर यह कहावत बिल्कुल ठीक बैठती है। पूर्व के पुलिस अधीक्षको की लापरवाही लेकिन लखनऊ हाई कोर्ट ने वर्तमान पुलिस अधीक्षक को तलब किया है क्योकि सवाल उसी से होता है। जो पद पर होता है। याची सुरेन्द्र पाल सिंह निवासी ग्राम तुसौर थाना राजेपुर जनपद फ़र्रुखाबाद ने माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में रिट याचिका संख्या 16587/2020 (S/S) “सुरेन्द्र पाल सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य” अधिवक्ता रजत प्रताप सिंह के माध्यम से योजित की जिसमें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 12 अक्टूबर 2020 को पुलिस अधीक्षक हरदोई से केस से संबंधित जानकारी मांगी गई थी। ,जिसमें याची द्वारा नागरिक पुलिस सेवा में समायोजन को लेकर लिन्गरान करने का आरोप लगाया है |माननीय उच्च न्यायालय ने 24 नबम्बर 2020 को कोर्ट के सामने उपस्थिति होने का आदेश पारित किया है साथ ही कहा कि स्पष्टीकरण दें क्यों न माननीय कोर्ट और ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन न करने के सम्बन्ध में उनके खिलाफ एक्शन लिया जाय |

याची सुरेंद्र पाल सिंह 13 अगस्त 1980 को उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी (नागरिक पुलिस) में भर्ती हुआ था। याची को अनुपस्थित होने के कारण दिनांक 27 अप्रैल 1988 को सर्विस से बर्खास्त कर दिया गया युवक ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिकरण लखनऊ में क्लेम पेटीशन 1989 में योजित की थी, दिनांक 22 अक्टूबर 1996 को उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिकरण द्वारा याची के विरुद्ध आदेश को निरस्त करते हुए यह आदेश पारित किया कि याची को सर्विस में 3 माह में बहाल किया जाए। उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिकरण के आदेश दिनांक 22 अक्टूबर 1996 के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकार ने माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में रिट याचिका संख्या 847/1997 (S/B) “उत्तर प्रदेश सरकार बनाम सुरेंद्र पाल सिंह आदि” योजित की। जिसको माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 29 अगस्त 2012 को डिसमिस कर दिया गया। एवं उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिकरण के आदेश को सही ठहराया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने माननीय उच्चतम न्यायालय में एसएलपी नंबर 31026/ 2013 “उत्तर प्रदेश सरकार बनाम सुरेंद्र पाल सिंह आदि” योजित की। जो दिनांक 12 अप्रैल 2017 को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा डिस्मिस की गई।

याची ने अब तक तैनात पुलिस अधीक्षक हरदोई को सेवा में बहाल कराए जाने के संबंध में कई प्रार्थना पत्र दिए, किन्तु किसी भी पुलिस अधीक्षक हरदोई द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया। तब याची ने माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में रिट याचिका संख्या 16587/2020 (S/S) “सुरेन्द्र पाल सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य” अधिवक्ता रजत प्रताप सिंह के माध्यम से योजित की जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 12 अक्टूबर 2020 को पुलिस अधीक्षक हरदोई से केस से संबंधित जानकारी मांगी गई, परंतु 21 अक्टूबर 2020 को कोई जवाब न मिलने के कारण उच्च न्यायालय ने 5 नवंबर 2020 को केस को लिस्ट करने का आदेश दिया एवं यह आदेश पारित किया कि अगर पुलिस अधीक्षक हरदोई इस केस में उचित निर्णय लेकर कोर्ट को अवगत कराएं, परंतु दिनांक 5 अक्टूबर 2020 को सरकारी अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि उपरोक्त केस को विशेष सचिव ग्रह उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ को अग्रिम आदेश/ निर्देश के लिए अग्रसारित किया गया है।

याची के अधिवक्ता रजत प्रताप सिंह द्वारा न्यायालय को यह बताया गया कि निर्णय पुलिस अधीक्षक हरदोई द्वारा ही लिया जाना है, केस को जानबूझकर लिंगरान किया जा रहा है। तो उच्च न्यायालय ने केस को दिनांक 24 नवंबर 2020 को इस आदेश के साथ लिस्ट करने का आदेश दिया कि अगर 23 नवंबर 2020 तक पुलिस अधीक्षक हरदोई द्वारा आदेश का कंप्लायंस नहीं किया जा रहा है तो पुलिस अधीक्षक हरदोई 24 नवंबर 2020 को इस कोर्ट के सामने उपस्थित हो और स्पष्टीकरण दें कि क्यों न माननीय कोर्ट और ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन न करने के संबंध में उनके खिलाफ एक्शन लिया जाए।