दर्दनाक कहानी : माँ और पिता के गैर लग कर रात भर रोती रही

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

लखनऊ के बंगला बाजार से दस साल पहले लापता हुई एक बच्ची जिसके माता-पिता, चाचा-चाची, भाई-बहन, दादा व अन्य नाते-रिश्तेदारों का हंसता-खेलता परिवार देख समझ ही नहीं पा रही थी कि बच्ची खुश होए की रोए। दो दिन तक लगातार वह रोती रही, कभी पिता के गले लगकर तो कभी दादा के कंधे पर सिर रख कर। वन स्टॉप सेंटर में काउंसिलिंग के दौरान भी वह सिर्फ रोती रही, उसके दिल के गुबार इस तरह शब्दों में ढलकर निकलते रहे। और वह अपनी प्रताड़ना की कहानी बताती रही।

वन स्टॉप सेंटर मैनेजर अर्चना सिंह ने बताया कि , रेस्क्यू के बाद लड़की का ट्रॉमा से निकलना बहुत जरूरी था। क्योकि परिवार के साथ और सेंटर पर काउंसिलिंग के बाद उसमें काफी बदलाव दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार का महत्व यही होता है, जिस तरह से बेटी को सबने हाथों हाथ संभाला, हौसला दिया, वो भी सराहनीय है।

युवती ने काउंसिलिंग के दौरान बताया कि , उससे किराएदारों के बाथरूम तक साफ करवाए जाते थे। मना करने पर दुर्व्यवहार होता था। और उसने ये भी बताया कि, इतने लंबे वक्त में शायद ही उसने कभी भरपेट खाना खाया हो, मनपसंद का खाना तो दूर की बात है। कहती है कि मेरे सामने सब दूध-लईया खाते, लेकिन किसी ने कभी पूछा नहीं। सिर्फ बचा हुआ खाने को मिलता था। इतनी दर्द भरी अपनी आपबीती को सुनाते हुए उसकी आँखो से आँसू निकलते ही जा रहे हैं।

मारकर तोड़ दिए दांत, पानी में काम करते-करते सड़ गए पैर

अपने टूटे दांत दिखाते हुए बताया कि ये दांत मार कर तोड़े गए हैं। काम न करने या कुछ मना करने पर मार पड़ती थी। और काम में थोड़ी देरी कोई बर्दाश्त नहीं करता था। पैरों की हालत दिखाते हुए कहा कि , ये हालत पानी में काम करते-करते हो गई, पैर सड़ गए। दवा तो दूर कभी तेल तक नहीं दिया गया।

भाई ने बहन को देख कहा-ये तो इतनी बड़ी हो गई

संयुक्त परिवार के बीच खुद को पाकर वह एक-एक कर सबको निहार रही, समझने की कोशिश कर रही है। जब छोटी बहन सामने आई तो वह आश्चर्यचकित होकर खुशी से बोली, अरे ये तो इतनी बड़ी हो गई है। खाना बनाना भी सीख गई।

पिता बोले- दोषियों को सजा दिलवाना ही मकसद 

शनिवार को देर रात तक अस्पताल में बेटी का मेडिकल परीक्षण करवा रहे पिता ने कहा कि, उसकी सेहत हमारी प्राथमिकता है। उसके दोषियों को सजा दिलवाना हमारा मकसद है। हमसे दूर हो गई, जो कुछ भी उसने सहा, अब और नहीं। है तो हमारी बेटी।