महिला शक्तिकरण अभियान के तहत एएनएम संविदा महिलाओ को विशेष रूप से उनके गृह जनपद में कार्यकृत के लिए…

पत्रकार सौरभ सैनी

रीडर टाइम्स न्यूज़

महिलाओ का सदैव ही उत्पीड़न हुआ है। चाहे वे घरेलू हिंसा की शिकार हुई हो या सामाजिक शोषण की, कभी भी किसी ने उनका पक्ष नही लिया है। उनके दुख, मजबूरी को करीब से नही देखा उल्टे महिलाओ को ही कटघरे मे खड़ा किया। आपके सामने मै कुछ उदाहरण रख रही हूँ। लेकिन आपकी व्यस्ततम जीवन से कुछ समय जब तक आप निकालकर वास्तविकता से अवगत नही होगे आपको हर तरफ सब अच्छा ही लगेगा। जबकि स्वयं किसी के बारे मे जाकर देखने से वास्तविक स्थिति का पता चलता है।

आज कल टीकाकरण शब्द को लेकर बहुत ही हलचल है। एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी शुरू हो गये है। किसी को टीकाकरण अभियान को सफल बनाने की चिंता किसी को टीकाकरण कैसे,किस प्रकार, गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था को लेकर चिंता है। कि कोविड – 19 टीकाकरण पर कुछ फायदा उठाया जाय। कोविड -19 की रोकथाम, जागरुकता, सर्वे, समस्त कार्य का सम्पादन एएनएम( स्वास्थय कार्यकर्त्ता महिला) पूरी तनमयता पूर्वक किया सफलता दिलाई। विगत 9 माह दिन रात एक कर सरकार का साथ देकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन किया। लॉक डाऊन में टीकाकरण गर्भवती महिलाओ और बच्चो का किया, सबका स्वास्थय सही रहे कार्य किया। ना तो पक्ष ना ही विपक्ष किसी को आपसी बयानबाजी से समय ही नही मिला कि , वह महिला स्वास्थय कार्यकर्त्ताओं की भी बात को सुना जाय।

 1- महिला स्वास्थय कार्यकर्त्ता संविदा पर उत्तर प्रदेश मे लगभग 16000 है ।
2 – अधिकांश एएनएम, संविदा महिलाओ की तैनाती उनके गृह जनपद से 200 से 1000 किलोमीटर दूर किया गया है।
3 –अपने पारिवारिक सभी दायित्वो का निर्वहन नही कर पाती, ना ही अपने बूढे बीमार सांस ससुर की सेवा कर पाती है , ना ही अपने छोटे बच्चो का लालन पालन कर पाती है।4 – एक महिला बिना किसी सहारे बाहर रहती है तो उसे हमेशा डर लगा रहता है अपनी इज्जत बचाने की कही उसके साथ कोई अनहोनी ना हो जाय। क्योकि वह अपने परिवार से दूर है, अपने जनपद से दूर है, उसको सिर्फ अपनी डियूटी से मतलब रहता है।
5 – जहा तैनात है वहा पर भी जो लोग है वे यह कहकर धमकाते की तुम संविदा पर हो तुमको नौकरी से निकलवा दूगा।
6 – फील्ड में टीकाकरण स्थल पर कोई विवादास्पद स्थिति उत्पन्न हो जाय तो कोई मदद को तैयार नही।
7 – सोमवार- टीकाकरण , मंगलवार-मिटिग, बुद्धवार- टीकाकरण, बृहस्पतिवार- अंतराल दिवस,शुक्रवार-नसवंदी कैम्प,शनिवार-टीकाकरण, रविवार- स्वास्थय मेंला। जब यह 7 दिन लगातार डियूटी ही डियूटी करनी तो अपने 700 किलोमीटर दूर घर कैसे जाय। कोई सुनता ही नही। उल्टा यदि इनको नियमित ईसी पद पर चयनित होना है तो फिर से आयोग की परीक्षा दो और चयनित हो जो संभव ही नही लगता क्योकि टीकाकरण/सरकारी कार्यक्रम की व्यस्तता पढने का मौका ही नही देता। बिना पढे़ कोई परीक्षा पास होना संभव नही।
8 – कोई विधवा महिला है तो वह सदैव परेशान किसी कि मदद लेगी तो उसकी इज़्जत उछालने वाले समय की ताक में रहते है।
9 – सबको सुरक्षित करने वाली संविदा एएनएम, स्वयं असुरक्षित है क्योकि अपने गृह जनपद रहती तो परिजन सुरक्षा देते और संविदा पर काम कर रही है, अनुभवी हो चुकी है सरकार नियमित पदो पर समायोजन कर देती तो भविष्य सुरक्षित रहता।
10 – किसी की भी सरकार हो लेकिन सफलता उनके कार्यक्रम की एएनएम महिलाओ पर टिकी है हर योजना की सफलता की कडी है।