भयभीत वातावरण में सद्गुण भी बन सकता दुर्गुण जिसके लिए हैं जरुरी सच्चाई के लिए आवश्यक निर्भयता

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

हमारे अंत:करण में एक ओर सद्गुण तो दूसरी ओर दुगरुण खड़े हैं। उन्होंने अपनी व्यवस्थित व्यूह रचना कर रखी है। सेना में जिस प्रकार सेनापति आवश्यक है, उसी प्रकार यहां भी सद्गुणों ने एक सेनापति बना रखा है। उसका नाम है निर्भय। बिना अभय के कोई भी गुण नहीं पनप सकता। सच्चाई के बिना सद्गुण का मोल नहीं। सच्चाई के लिए निर्भयता आवश्यक है। भयभीत वातावरण में सदगुण भी दुर्गुण बन जाएंगे, सत्प्रवृत्तियां कमजोर पड़ जाएंगी। निर्भयत्व सब सद्गुणों का नायक है, पर सेना को आगे और पीछे दोनों संभालना पड़ता है। सीधा हमला तो सामने से होता है, पर पीछे से चुपचाप चोर हमला भी हो सकता है। सद्गुणों के सामने अभय खम ठोंककर खड़ा है तो पीछे से नम्रता रक्षा कर रही है। यदि नम्रता न हो तो यह जय कब पराजय में बदल जाएगी, पता न चलेगा। निर्भयता से प्रगति की जा सकती है और नम्रता से बचाव होता है। पांव गलत न पड़ जाएं, इसके लिए सदा विनम्र रहें। इसके बाद कोई खतरा नहीं रह जाता।

: – बुरा अनुभव अच्छा है

यदि आप बार-बार अपने जीवन में बुरे अनुभवों को कोसते हैं, उन्हें याद कर दुखी हो जाते हैं या दोबारा उन्हें जीवन में नहीं देखना चाहते तो यह समय आपके इस नजरिए को बदल सकता है। बस ध्यान दें कि कोरोना काल में हुए बुरे अनुभवों ने किस तरह से आपकी मदद की है? आप पाएंगे कि इस समय ने शुरुआती दौर में यदि गुस्सा, कुंठा या आवेश को बढ़ाया है तो उसके एवज में आपको अपने ही बारे में वह राज पता चला है, जिसे आप खुद नहीं जानते थे। तमाम नुकसान और संकटपूर्ण परिस्थिति या मनोदशा में रहने के बाद भी आप जीवन के इस मोड़ पर खड़े हैं तो यह आपकी आत्मशक्ति है, जिसका अंदाजा आपको नहीं था। क्या आपने अपनी कमजोरियों के बारे में भी जाना? यह जाना कि आप एक अधीर इंसान हैं, जो कुछ वक्त के लिए एक जगह पर यूं ही बंद नहीं रह सकता। पर लाकडाउन में लंबा समय बिताकर आपने दिखा दिया कि जीवन में धैर्य और संयम का क्या अर्थ है और यह कितना जरूरी है। आपने जाना कि कृतज्ञ होना कितना महत्व रखता है। हां, यह सही है कि जीवन में हम बुरे अनुभव नहीं चाहते, पर जीवन पर हमारे चाहने या न चाहने का वश नहीं। यह हमेशा याद रखें कि नकारात्मक को बार-बार याद करना वर्तमान को मुश्किल में डाल देगा। आगे जीवन में कुछ नकारात्मक हो तो तुरंत अपना फोकस बदलने का अभ्यास करें। यह शुरू में कठिन होगा, पर आपकी इच्छाशक्ति मजबूत होगी तो आप जल्द सीख जाएंगे।

बुरे दौर में आपने जो कुछ अच्छा पाया या सीखा, उसके बारे में सोचें। जब कोई दुर्घटना होती है तो हमें यह भी पता चलता है कि कौन हमारे सबसे करीबी लोग हैं। बुरा अनुभव हमेशा के लिए नहीं रहता, यह अस्थायी होता है, समय बदलते ही यह भी यादों का हिस्सा बन जाता है। बस, इसका एक खास योगदान रहता है कि यह आने वाले बुरे दौर के लिए राहें प्रकाशित करने का काम करता है। आशा, धैर्य और प्रार्थना को सदा अपने साथ रखें, आने वाले समय में सब अच्छा होगा।