कोविड 19 संक्रमण के मद्देनजर ग्रामीण विस्थापन की समस्या का समुचित समाधान 

पत्रकार सौरभ सैनी

रीडर टाइम्स न्यूज़

  • कोविड 19 के संक्रमण के संकट से आज सारे संसार में भय का माहौल व्याप्त हैं। शुरू में इस वायरस के बारे में सबसे पहले चीन के वुहान शहर में पता चला और इसके बाद यहाँ के अन्य इलाकों में भी यह संक्रमण फैलने लगा। कोरोना का वायरस इसके बाद सारी दुनिया के लिए एक बड़ा संकट बन गया और यूरोप और एशिया के काफी देशों के अलावा अमेरिका में भी इस वायरस की चपेट में आकर रोज हजारों लोगों की मौत की खबरें प्रकाश में आने लगीं। इस वायरस की चपेट में आने वाले लोगों से समाज के अन्य लोगों में संक्रमण के फैलाव की चर्चाओं के बीच के बचाव के लिए कोरोना संक्रमितों के आइसोलेशन को भी इस बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जरूरी बताया और लोगों के आवागमन के मार्फत से भी कोरोना के वायरस के प्रसार की आशंकाएँ रोग विशेषज्ञों के द्वारा प्रकट की गयीं। इस आशंका के मद्देनजर सारी दुनिया में लोगों के स्थानीय और सीमा पार आवागमन पर रोक लगाने की कारवाई शुरू हो गयी।

  • भारत में भी इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लाक डाउन की घोषणा की और इससे कई महीनों तक बाजार – दफ्तर , फैक्ट्री और स्कूल – कॉलेज बंद रहे और करोड़ों लोगों के सामने आजीविका का संकट कायम हो गया ।.ऐसी दशा में भुखमरी की स्थिति से लोगों को बचाने के लिए और खासकर शहरों में दूरदराज के बाहरी राज्यों से आकर वहाँ रहने वाले मजदूरों के लिए संबंधित राज्यों की सरकारों के द्वारा राहत शिविर खोल कर उन्हें भोजन पानी और अस्थायी आवासन की सुविधा प्रदान की गयी और बाद में संबंधित राज्य सरकारों के द्वारा इन मजदूरों को उनके गृह राज्यों में विशेष रेलगाड़ियों के माध्यम से भेज दिया गया। सरकार के द्वारा घोषित इस लॉकडाउन के अनेक प्रावधान अभी भी लागू हैं। और पहले की तरह यात्री रेल सेवा अभी भी शुरू नहीं हो पायी है लेकिन देश के सारे शहरों में सारे कामधाम अब शुरू हो रहे हैं।

  • शहरों से अपने गाँवों में लौट कर आने वाले मजदूर अब फिर वापस जाना चाहते हैं। कोरोना की वजह से बेरोजगारी एक विकट समस्या बन कर सामने आयी है। और यह जरूरी है कि ,अब देश के गाँवों में भी रोजगार की गतिविधियाँ शुरू हों पिछले कई दशकों से गाँवों से मजदूरों का शहरों की ओर विस्थापन एक विषम समस्या है और ग्रामीण लघु कुटीर उद्योग धंधों के विकास से रोजगार के अवसरों के विकास से रोका जा सकता है। भारत गाँवों का देश है। और यहाँ कृषि अर्थव्यवस्था की समृद्धि का आधार है।

  • ब्रिटिश काल में अँग्रेजों के शासन काल में ग्रामीण कुटीर उद्योग धंधों का पतन हो गया महात्मा गाँधी गाँवों की अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने के लिए फिर से देश में कुटीर उद्योग धंधों की स्थापना और उनका समुचित विकास चाहते थे। आजादी के बाद भारत में मध्यम और बड़े उद्योग धंधों की स्थापना पर जोर दिया गया और ये उद्योग ज्यादातर शहरों में स्थापित किए गये इसलिए गाँवों का विकास ठीक से नहीं हो पाया अपने गाँवों से दूरदराज के शहरों में जाने वाले मजदूरों को कई कठिन समस्याओं को झेलना पड़ता है और कोरोना की वजह से विस्थापित मजदूरों के लिए भी यह बेहतर होगा कि अब वे अपने परिवार के साथ गाँवों में ही रहें ।.इसके लिए जरूरी है कि सरकार गाँवों में कृषि आधारित सहायक उद्योग धंधों के विकास के लिए समुचित दिशा निर्देश और नीति को जारी करे . कोरोना से बचाव के लिए स्वच्छता और समुचित पोषण से शरीर में रोगप्रतिरोधक शक्ति के समावेश को भी जरूरी कहा जा रहा है ।. भारतीय संस्कृति में इन जीवन तत्वों को पहले से महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है . हमें इन पर ध्यान देना चाहिए ।