रुखा व्यवहार या फिर अचानक आने वाले गुस्से पर कैसे पाया जाए काबू

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

  • चाहे वह निजी जिंदगी हो या सामाजिक जीवन, उनमें समस्याओं का कारण है संयम यानी स्वनियंत्रण का अभाव। चाहे स्कूली जीवन में पीछे रहने की बात हो, काम टालने की आदत हो, नशे की आदत, कसरत की कमी, असंतुलित खानपान, रूखा व्यवहार या फिर अचानक फूट पड़ने वाला गुस्सा हो, इन सभी के मूल में संयम की कमी है। संयम और इच्छाशक्ति एक-दूसरे से संबंधित हैं। इसलिए जो संयम बरत सकते हैं, उनमें किसी प्रकार के त्वरित प्रलोभन से बचने की क्षमता होती है। वे क्षणभंगुर आकर्षणों से दूर रह सकते हैं। आसपास कुछ न कुछ बुरा घटता रहता है। इसका असर इंद्रियों पर पड़ता है, पर सयंमित लोगों में बुरे माहौल के प्रभाव से बचने की काबिलियत होती है। उनकी एकाग्रता नहीं टूटती और इसलिए उनके काम का परिणाम बेहतरीन होता है।

  • सामाजिक विज्ञानियों के अनुसार, कामयाबी या किसी बड़ी उपलब्धि के लिए दो खास गुण होने चाहिए। बुद्धिमत्ता और संयम। जिनमें ये दोनों गुण हैं, वे अधिक सफल रहते हैं। पर हम सबमें एक खास स्तर की बुद्धि होती है। संयम को अपनाना हमारी इच्छाशक्ति पर है। यह हमारे विचारों और कार्यों से आसानी से बढ़ या घट सकता है, पर ज्यादातर लोग सफलता के लिए जरूरी इन गुणों को हल्का कर आंकते हैं। जब उनसे उनकी ताकत के बारे में पूछा जाता है तो वे हास्य भाव, बहादुरी, ईमानदारी और यहां तक कि इंसानियत की बात करते हैं। वे संयम या स्वनियंत्रण की बात नहीं करते। दरअसल, संयम को बहुत पीछे या निचले क्रम में रखा जाता है।

  • आज के समय में संयम बनाए रखना आसान नहीं है। स्मार्टफोन, टेलीविजन, सिनेमा, इंटरनेट आदि ऐसे अनेक माध्यमों के कारण संयम रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है। कार्य के समय हमारा दिमाग एकाग्र नहीं रह पाता। एक पल में यह बदल जाता है। एक क्लिक से दुनिया सामने खुलती है और हम उसमें खो जाते हैं। हर समय हाथ में उपलब्ध मोबाइल की मदद से कभी भी किसी से भी बात कर सकते हैं या संदेश भेज सकते हैं। इस स्थिति में ज्यादातर लोगों को संयम बनाए रखने के लिए बहुत अधिक इच्छाशक्ति की जरूरत होती है।

  • यदि संयम है तो यह उन्हें आगे बढ़ने में ही नहीं, बल्कि उनकी सेहत और आपसी संबंधों को बेहतर बनाने में मदद करता है। जो संयमित हैं, वे अपनी एकाग्रता को बढ़ा सकते हैं। वे लोग कामयाबी प्राप्त करते हैं। उनमें काम टालने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने की क्षमता होती है। जो व्यर्थ के काम हैं, उनसे ध्यान हटाकर वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़ते जाते हैं, पर जो स्वनियंत्रण में कमजोर होते हैं, वे लगातार अपना ध्यान भंग होने के कारण संघर्ष करते रहते हैं।