आखिर कब तक बचाया जाएगा भ्रस्टाचार को ; एफआईआर लिखने से कोतवाल का इंकार ,

रिपोर्ट शरद द्विवेदी
रीडर टाइम्स न्यूज़

हरदोई / एक संविदा कर्मी कितना रसूखदार है यह आज के प्रकरण से समझा जा सकता है सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस प्रकार की सेटिंग करना विनय शुक्ला का मुख्य कार्य था और अवैध धन बसूली ऊपर तक के अधिकारियों को जाता था। विनय शुक्ला के विद्युत विभाग में ढाई लाख की रिश्वत मांगने के ऑडियो प्रकरण में भले ही डीएम ने एफआईआर लिखने के आदेश दे दिए हों पर कोतवाली सिटी पुलिस किसी भी कीमत पर रिपोर्ट लिखने को तैयार नही है। कोतवाल जगदीश यादव का कहना है कि विद्युत विभाग से तहरीर तो मिली है पर जब तक विभागीय जांच पूरी नही हो जाती तब तक रिपोर्ट नही लिखेंगे। ऐसे में भ्रस्टाचारियों से कोतवाल की संलिप्तता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। आप लोगो के संज्ञान में लाना है कि पूर्व में उपभोक्ता प्रशांत कुमार सिंह के घर पर जांच की गई थी, जहां विद्युत विभाग के अधिकारियों ने मीटर से पूर्व बाईपास पाए जाने की बात कही थी। मामले को निपटाने के लिए विद्युत विभाग की ओर से संविदाकर्मी रमलू शुक्ला द्वारा उपभोक्ता से ढाई लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई , जिसका ऑडियो वायरल हो गया।

जब विद्युत विभाग के अधिकारी तहरीर लेकर थाना कोतवाली शहर पहुंचे तो कोतवाल जगदीश यादव ने एफआईआर लिखने से साफ इंकार कर दिया। बताया जाता है कि कोतवाल ने कहा या तो वीडियो क्लिप या विभागीय जांच की आख्या दो तभी रिपोर्ट लिखी जाएगी। केवल ऑडियो के आधार पर रिपोर्ट दर्ज नही होगी। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर भ्रस्टाचारियों पर कोतवाल क्यों मेहरबान हैं? एक विभागाध्यक्ष की तहरीर को पुलिस ने कोई तवज्जो क्यों नही दी? क्या कोतवाल साहब खुद को जज समझते हैं जो सभी साक्ष्य देखने के बाद ही फैसला लेंगे? कानून के जानकारों की मानें तो तहरीर के आधार पर पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करना अनिवार्य है।