हमारी बहन बेटियां वोकल हो रही है : सीमा समृद्धि


डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
1- सोसाइटी का स्ट्रक्चर भी बढ़ती घटनाओं का जिम्मेदार
2- रेपिस्ट की शादी तो हो जाती है लेकिन  पीड़िता अक्सर समाज से ही बहिष्कृत हो जाती हैं

” पुलिस की संवेदनहीनता की वजह से अक्सर केस कमजोर हो जाते हैं और जब रेप का एक दोषी छूटता है तो वह हजारों अपराधियों को संदेश दे रहा होता है कि कानून हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता”

लखनऊ : निर्भया के दोषियों को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने वाली सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा किसी परिचय की मोहताज नहीं है । जब भी निर्भया की याद में आंखें नम और शर्म से झुक जाती हैं और तब संघर्ष मूर्ति सीमा समृद्धि  का नाम जुड़ते ही सर फक्र से ऊंचा भी हो जाता है राजधानी लखनऊ में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के दौरान दैनिक भास्कर ब्यूरो चीफ अमित पांडे से विभिन्न मुद्दों पर खास चर्चा हुई । पेश है उसके मुख्य अंश

# पिछले साल मार्च की ही महीने में निर्भया के दोषियों को फांसी दी गई आज 1 साल बाद देश में आप किस तरह का बदलाव देखती है?
– निर्भया के दोषियों को फांसी होने से पूरे समाज में एक संदेश पहुंचा कि देर से ही सही लेकिन अपराधियों को उनके अपराध की सजा जरूर मिलती है और कानून सबसे ऊपर है। साथ ही हमारी बेटियां जिन्होंने निर्भया के लिए सड़कों पर उतरकर संघर्ष किया अब अत्याचार के खिलाफ वह कल हो रही है । खुलकर अपनी बात कह पा रही है अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं मैं समझती हूं यह एक बड़ी बात है।

# क्या मौजूदा कानून मैं और भी किसी तरह के बदलाव होने चाहिए जिससे पीड़ितों को जल्द न्याय और दोषियों को सजा मिल सके?
– मेरे हिसाब से दोषियों को सजा दिलाने के लिए हमारे पास पर्याप्त कानून मौजूद है लेकिन उनका पालन समय से नहीं हो पाने के कारण लोगों में कानून का खौफ अक्सर कम हो जाता है ।और तमाम टेक्निकल इश्यूज है जिनके कारण भी अपराधी उसका लाभ लेने में सफल रहते हैं । जिसमें अक्सर पुलिस की संवेदनहीनता भी इसका मुख्य कारण बनती है लेकिन एक बात तो बिल्कुल साफ है कि जब रेप का एक भी दोषी छूटता है तो वह हजारों अपराधियों को संदेश दे रहा होता है कि कानून हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता जिसका समाज पर बेहद बुरा असर पड़ता है ।

# महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में लगातार बढ़ोतरी होने का कारण आप किसे मानती हैं हमारी रूढ़िवादी सोच या हमारी उड़ी हुई पश्चिमी सभ्यता?
– जहां तक हमारी रूढ़िवादी सोच का विषय है तो बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि बेटियों को लेकर हमारी सोच अभी भी कुंठित है उसे बदलना चाहिए ऐसा कई बार देखा जाता है कि दोषी अक्सर समाज के बेहद मजबूत तबके से आता है और पीड़िता ज्यादातर कमजोर वर्ग से होती है तो ऐसे में भी कई बार पीड़ित का परिवार ही कार्रवाई से डरकर या स्वयं ही पीछे हट जाता है या उसे कई प्रकार का प्रलोभन देकर चुप करा दिया जाता है और दोषी सजा पाने से बच जाते हैं और पूरी हुई पश्चिमी सभ्यता यानी पहनावे आज से उसका कोई लेना-देना नहीं है कई पश्चिमी देशों की लड़कियां हमारी साड़ी पहन लेती है तो क्या उनकी संस्कृति खतरे में पड़ जाती है मेरे हिसाब से ऐसा बिल्कुल नहीं है।

# महिला अपराधों पर लगाम लगाने में सरकार की भूमिका पर आपका क्या कहना है?
– स्वस्थ समाज की अवधारणा में सरकार बेहद अहम रोल निभाती है लेकिन अफसोस की बात है कि महिला सुरक्षा के लिए सरकार आज तक कोई पायलट प्रोजेक्ट नहीं ला पाई है ।और जब हम महिलाओं को इंपावर करने की बात करते हैं तो सबसे महत्वपूर्ण पूर्व शिवा को उससे अलग रखते हैं ।जबकि सबसे ज्यादा आवश्यक युवकों को जागरूक करना है उदाहरण के लिए हम निर्भया को ही ले लेते हैं निर्भया  निडर थी बेहद जागरूक पढ़ी-लिखी बहादुर लड़की थी लेकिन जिन्होंने उसका बलात्कार किया वह ना तो कानून को समझते थे और ना ही उन्हें मालूम था कि वह किस स्तर की घिनौने अपराध को अंजाम दे रहे हैं इसलिए आज बेटियों के साथ हमें अपने बेटों को भी पूर्ण रूप से प्रशिक्षित करना होगा ।तभी समाज  इस तरह के अपराधों पर लगाम लगाने में सक्षम हो पाएगा।

# लिवाइस I shape my world का हिस्सा वनकर कर  क्या संदेश देना  चाहेंगी?
– लिवाइस कंपनी की मुहिम का हिस्सा बनकर मुझे बेहद अच्छी अनुभूति हुई है इसके माध्यम से मेरी आवाज समाज के बड़े हिस्से तक पहुंच चुकी है मेरी राय में आज भी समाज के अंदर फीमेल को बेहद कमजोर माना जाता है उसकी उपयोगिता झाड़ू बर्तन खाना बनाने तक ही सीमित रहती है उसे भी खुला आसमान दिया जाना चाहिए अपनी परिभाषाएं खुद गढ़ने देना चाहिए जिस पर उसका हक है ।जब नारी सशक्त होगी तो स्वस्थ समाज की स्थापना संभव हो सकेगी।