भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष का कब छूटेगा विवादित जमीनों से मोह

रिपोर्ट शरद द्विवेदी
रीडर टाइम्स न्यूज़
:- अब मंदिर की जमीन पर नेताजी की नज़र
आज के प्रकरण से समझा जा सकता है कि किस प्रकार से सत्ता की हनक के चलते सत्ताधारी उस जमीन को भी नही छोड़ना चाहते है जिस जमीन पर प्राचीन मंदिर स्थापित है प्रकरण बिलग्राम चुंगी का है कल एक खबर सोसल मीडिया पर वायरल हुई थी कि सरकारी भूमि पर भूमाफियाओं का कब्जा है जब कि किसी भी भूमाफिया द्वारा कोई भी निर्माण इस जमीन पर नही किया गया बल्कि पूर्व में एक बार मंदिर का जीर्णोद्धार जरूर कराया गया था। जब इस प्रकरण की पड़ताल की गई तो स्थानिय लोगो ने बताया कि जिस जमीन की हरदोई प्रशासन ने नाप की है ।

यह सरकारी भूमि नही है बल्कि इस जमीन को वर्षो पहले रमेश चंद्र शुक्ला व सुधीर मिश्रा ने 6 हजार रुपये में गाटा संख्या 1351/2 बैनामा कराया था लेकिन जब बैनामकर्ताओ ने इस जमीन पर कब्जा करना चाहा तो स्थानिय लोगो ने विरोध किया क्योंकि इस जमीन पर लँगड़े दास बाबा का मंदिर व स्वयंभू लालेस्वर महादेव का मंदिर था मंदिर के पुजारी ने उक्त बैनामकर्ताओ पर एक मुकदमा भी किया था व उच्च न्यायालय ने भी माना था कि इस जमीन पर शिव मंदिर व हनुमान मंदिर है। जो वहां के लोगो का आस्था का केंद्र था जिस कारण कब्जे को लेकर स्थानिय निवासियों ने रमेश चन्द्र शुक्ला व सुधीर मिश्रा की कब्जेदारी का विरोध किया गया था। स्थानिय निवासियों के विरोध के कारण रमेश चन्द्र व सुधीर कुमार ने इस जमीन का विक्रीनामा भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामबहादुर सिंह की धर्मपत्नी सीमा सिंह के नाम कर दिया।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रामबहादुर सिंह ने इसी जमीन के चक्कर में हरदोई के एक कद्दावर नेता के आश्वासन पर भाजपा छोड़ सपा में गए थे। रामबहादुर सिंह को यह लग रहा था कि सत्ता के सहयोग से जमीन को खाली करा लेगे। इसी धारणा के चलते सपा सरकार में प्रशासन की मदद से इस जमीन पर कब्जा करना चाहा लेकिन स्थानिय निवासियों ने विरोध किया व जमकर मारपीट हुई तत्समय कुछ मोहल्ले वासियो व रामबहादुर सहित कई लोगो का शांतिभंग में चालान हुआ था फिर प्रकरण शांत हो गया।

रामबहादुर सिंह सपा छोड़ फिर भाजपा में आ गए और वर्तमान समय मे भाजपा की सरकार है इस कारण कही न कही रामबहादुर सिंह को लगा कि जमीन को खाली कराने का इससे अच्छा मौका दोबारा नही आएगा इस कारण उन्होंने अपनी पत्नी के नाम से खरीदी हुई जमीन की पैमाइस करने को लेकर हरदोई प्रशासन से गोहार लगाई है हालांकि उनकी गुहार नियमपूर्वक है और उनको उनकी बैनामे की जमीन मिलनी चाहिए।जिसको संज्ञान में लेते हुए कल पैमाइस की गई लेकिन अब सवाल यह उठता है।

कि , आखिर किस प्रकार से हरदोई का प्रशासन प्राचीन मंदिर को तुड़वा पाएगा और रामबहादुर को जमीन दिलवाएगा जब कि पूर्व में सपा सरकार में मंदिर तोड़ने का जब एक बार प्रयास रामबहादुर द्वारा किया गया था तो स्थानिय निवासियों ने इसका विरोध किया था चूंकि जिस जमीन को लेकर विवाद है वह शाहर के बीचोबीच है जो प्लाटिंग के उद्देश्य से उपयुक्त है अगर इस जमीन पर प्लाटिंग की जाए तो करोड़ो रूपये अर्जित किये जा सकते है शायद इस कारण भाजपा नेता कभी सपा के साथ खड़े हो जाते है और अब भाजपा के साथ है। अब देखना यह है कि जहां एक ओर स्थानिय लोगो में आक्रोश है मंदिर को लेकर वही दूसरी ओर रामबहादुर सिंह के पास उक्त जमीन का बैनामा है इस गुत्थी को प्रशासन कैसे सुलझाएगा।

आपको बताते चले कि नेताजी का यह पहला मामला नही है प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा ही एक और बैनामा नेता जी अंनगबेहटा में पूर्व में बिक्री जमीन का कराए बैठे है जिससे यह प्रतीत होता है कि विवादित जमीन लेना व उस पर प्लाटिंग करना नेताजी का पेशा है। उसी मंशा के अनुरूप अब नेताजी की नज़र उस जमीन पर है जिस पर वर्षो से शिवलिंग व हनुमान जी का मंदिर बिराजमान है। अब देखना यह है मंदिरों की रक्षा करने वाली भाजपा सरकार में खुद उनके ही कार्यकर्ता मंदिरों को तुड़वा कर उस पर अपना कब्जा करने में सफल हो पाएंगे या नही