देश में तैयार किए जा रहे 1 लाख नए फ्रंटलाइन वर्कर, पीएम मोदी ने लॉन्च किया स्पेशल प्रोग्राम

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
पुरे देश भर में कोरोना इतिहास बन चूका हैं। और अब यह इतिहास सबकी जुबा पर रहेगा क्योकि कुछ ऐसी परिस्थिति होती हैं जो कभी भुलाई नहीं जा सकती हैं। क्योकि इस कोरोना में हर इंसान की अकेले रहने की भी नौबत आ गयी थी। क्योकि पिछले साल से ही इस संकट ने पुरे देशवासियो के जीवन में उथल पुथल मचा दी हैं। और अभी भी इसके असर का अंत नहीं हुआ हैं।

भारत कोरोना महामारी की दो लहर झेल चुका है, जिसमें अब तक 3.83 लाख से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि जल्द ही देश में तीसरी लहर भी आ सकती है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने कोरोना फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए एक विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया है, जिसको शुक्रवार को पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लॉन्च किया। इस शुभारंभ के साथ ही 26 राज्यों के 111 प्रशिक्षण केन्द्रों में इस कार्यक्रम की शुरूआत हो गई।

कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा ये वायरस हमारे बीच अभी भी है और इसके म्यूटेट होने की संभावना भी बनी हुई है, इसलिए हर इलाज और सावधानी के साथ आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए हमें देश की तैयारियों को बढ़ाना होगा। इसी लक्ष्य के साथ देश में एक लाख फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर तैयार करने का महाअभियान शुरू हो रहा है।

पीएम के मुताबिक , कोरोना से लड़ रही वर्तमान फोर्स को सपोर्ट करने के लिए देश में करीब 1 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। ये कोर्स 2-3 महीने में ही पूरा हो जाएगा, इसलिए ये लोग तुरंत काम के लिए उपलब्ध भी हो जाएंगे। ऐसे में इस अभियान से कोविड से लड़ रही हमारी हेल्थ सेक्टर की फ्रंटलाइन फोर्स को नई ऊर्जा भी मिलेगी। साथ ही हमारे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे। पीएम ने बताया कि वैक्सीनेशन के मामले में 45 साल से ज्यादा के लोगों को जो सुविधाएं दी जा रहीं, वही सुविधाएं 45 साल से कम लोगों के लिए दी जाएंगी।

* कोरोना के मामलों में गिरावट, 24 घंटों में 62480 नए केस और 1587 लोगों की मौत
276 करोड़ होगा खर्च :- आपको बता दें कि 276 करोड़ रुपये की लागत से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना तृतीय के तहत ये स्पेशल ट्रेनिंग प्रोग्राम लॉन्च हुआ है। इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में श्रमशक्ति की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए कुशल गैर-चिकित्सा स्वास्थ्यकर्मियों को तैयार किया जाएगा। इस कोर्स की अवधि बहुत ही छोटी है, जिस वजह से इसे क्रैश कोर्स कहा जा रहा है।