ब्राह्मणों के पास रहेगी सत्ता की कुंजी ?

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
1- 13 फीसद ब्राह्मण निर्णायक वोटर माने जा रहे हैं।
2- सपा बसपा के साथ भाजपा ने भी ब्राह्मणों के पक्ष में ठोका दावा।

लखनऊ :- उत्तर प्रदेश में चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी सत्ताधारी और विपक्षी दलों ने आगामी चुनाव के दृष्टिगत अपनी नीतियों को अमल में लाना शुरू कर दिया है। सत्ता के गलियारों में ब्राह्मण वोटों की चर्चा इस समय खास तौर पर की जा रही है । कि ब्राह्मण किस के खेमे में खिसकेगा। क्योंकि जिधर ब्राह्मण रहेगा सत्ता का सिंहासन उसी का होगा। इसका ख्याल रखते हुए सभी दलों ने इस बार ब्राम्हण वोटों को केंद्र में रखकर अपनी सियासी चालों की शुरुआत की है।

इतिहास गवाह है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिवाद हमेशा से हावी रहा है। यद्यपि चुनावों का आरंभ गंभीर मुद्दों को सामने रखकर किया जाता है लेकिन सभी मुद्दों पर जातिवाद सदैव से भारी साबित हुआ है फिर चाहे विकास की बात हो या भ्रष्टाचार की वोट हमारा हमारी जात वाले को मिले । इसी धारणा से चुनावी हार जीत का फैसला होता आया है।

इस बार भी ब्राह्मण सम्मेलन से शुरुआत करके बहुजन समाज पार्टी ने अपना तरीका साफ कर दिया है कि ब्राह्मणों को केंद्र में रखकर ही बसपा अपना चुनावी अभियान आगे बढ़ाएगी। दरअसल 2007 में ब्राह्मणों के सहारे सत्ता का स्वाद चख चुकी मायावती इस बार भी सोशल इंजीनियरिंग के सहारे सत्ता की वैतरणी पार करना चाहती हैं। इसीलिए बसपा महासचिव और मायावती के चाणक्य कहे जाने वाले सतीश चंद्र मिश्रा प्रबुद्ध जनों की ताबड़तोड़ सभाएं करके सवर्णों का रुख अपनी तरफ मोड़ना चाहते हैं।

उधर समाजवादी पार्टी भी ब्राह्मणों के सम्मान के लिए संघर्ष की बात कह रही है। सूत्रों की माने तो टिकटों के बंटवारे में इस बार ब्राह्मणों की मजबूत हिस्सेदारी होने की बात सुनाई पड़ रही है। 2012 में ब्राह्मण और पिछड़ा वोट पाकर ही सपा को सत्ता हासिल हुई थी। लेकिन सरकार बनते ही सपा ने ब्राह्मणों को हाशिए पर डाल दिया जिसके चलते समाजवादी पार्टी की खासी किरकिरी भी हुई थी। सत्ताधारी भाजपा का कहना है कि ब्राह्मण पिछले चुनाव में भी उनके साथ था और इस चुनाव में भी उनके साथ रहेगा ।

नवनिर्वाचित केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर का कहना है कि ब्राह्मणों को सभी पार्टियों ने धोखा दिया लेकिन भाजपा ने ब्राह्मणों को सम्मान दिया है। इसलिए ब्राह्मण पूर्ण रूप से भाजपा का था और भाजपा का ही रहेगा।  भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि इस बार का चुनाव विकास पर लड़ा जाएगा। जातिवाद का मुद्दा कोसों पीछे छूट चुका है। सत्ता किसे हासिल होगी? किसे नहीं ब्राह्मण वोट किसे मिलेगा या नहीं यह तो किसी को नहीं मालूम। लेकिन आने वाला चुनाव काफी रोमांचक होने वाला है इसका सभी को पता है।