अनशनकारियों की मांग : बेरोजगारी दूर करने का करें काम

पत्रकार सौरभ सैनी
रीडर टाइम्स न्यूज़
जनता की आवाज ही बहुमत में आई सत्ताधारी सरकार की आवाज होती है। सच्ची सरकार को जनता की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए , जिससे कि वास्तविक रुप से सर्वांगीण विकास हो सके। उक्त बातें दिनांक 27 जनवरी 2022 से लगातार आमरण अनशन /भूख हड़ताल पर बैठे अभ्यर्थियों ने कही। अभ्यर्थियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद एवं लखनऊ हाई कोर्ट प्रशासनिक कमेटी के अध्यक्ष मनोज मिश्रा (जज) के द्वारा दिनांक 4 फरवरी 2022 में ही निर्णय लिया गया है कि कमेटी ने आदेश पारित किया है कि 7 फरवरी से कोर्ट में सामान्य सुनवाई की जाएगी। मौके पर रजिस्टर्ड पत्र भी अभ्यर्थियों द्वारा अध्यक्ष जी को प्रेषित किया गया। इसी क्रम में बताया कि अनशन का मुख्य वजह वर्ष 2014 में सपा शासनकाल में हुई नियुक्ति में धांधली है। आयुष विभाग यूनानी निदेशालय से संबंधित है , वर्ष 2014 में 95 ‘यूनानी फार्मासिस्ट’ के पद निदेशक यूनानी सेवाएं , उत्तर प्रदेश , लखनऊ द्वारा विज्ञापित किए गए। जिसमें काउंसलिंग के पश्चात 89 यूनानी फार्मासिस्ट को पूर्व दिवस में बगैर नोटिस बोर्ड पर चस्पा किए ही नियुक्ति प्रदान कर दी गई। नियुक्त 89 यूनानी फार्मासिस्टों में 52 अन्य पिछड़ा वर्ग व 37 सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी थे। 89 अभ्यर्थियों में सब के सब के एक ही समुदाय से हैं।

70 अनुसूचित जाति/ जनजाति के अभ्यर्थियों द्वारा भी वर्ष 2014 में यूनानी फार्मासिस्ट के पद पर काउंसलिंग कराई गई थी परंतु एक व्यक्ति को नियुक्ति प्रदान नहीं की गई, जबकि सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली के एक आदेश का हवाला देते हुए पीड़ित अनशनकारी अभ्यर्थियों ने बताया कि एससी / एसटी के पदों पर ओबीसी एवं जनरल वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हो सकती (साक्ष्य संलग्न है)। इसी क्रम में अभ्यर्थियों ने एक लिखित आदेश के हवाले से बताया कि राज्यपाल उत्तर प्रदेश के निर्देश में जिलाधिकारी लखनऊ को 11 तारीख को निरीक्षण करने के आदेश दिए गए हैं। इसी तरह से अभ्यर्थियों में एक आशा है कि बहुत जल्द राज्य प्रशासन एवं कोर्ट प्रशासन बेरोजगारी से मुक्ति दिलाएगा।न्याय न मिलने तक अनशन संचालित रहने की बात स्वीकार की।