काबू ना आऊंगा : हवा हूं मैं…शिवा हूं मैं

नेहा शुक्ला (श्रुति)
रीडर टाइम्स न्यूज़
शिवा हूं मैं शिवा हूं मै शिवा हूं मैं
तांडव करता शिवा हूं मैं
हवा में मैं …फिजा में मैं
चारों और दिशा में मैं
शिवा हूं मैं शिवा हूं मैं
हाथ पकड़ ले जब तू मेरा
आने ना दूं कभी अंधेरा
शिवा हूं मैं
तांडव करता…
पानी से पतला हूं
फूल से भी हल्का हूं
कोई डींगे ना मेरे आगे
वज्र से भी …तगड़ा हूं मैं
शिवा हूं मैं शिवा हूं मैं
तांडव करता शिवा हूं मैं
चांद भी मैं… सूरज भी मैं
पूरब भी मैं …पश्चिम भी मैं
राम भी मैं कृष्णा भी मैं
जड़ , चेतन , मृग तृष्ना भी मैं
धरती भी मैं अंबर भी मैं
शिवा हूं मैं शिवा हूं मैं…