डॉ भीमराव अम्बेडकर जयंती के अवसर लखनऊ में शिव सत्संग मंडल का शिवोत्सव

संवाददाता श्याम जी गुप्ता
रीडर टाइम्स न्यूज़
राष्ट्र को संगठित व समाज को जाग्रत करने में संतों का विशेष योगदान : राजेश पांडेय
शिव सत्संग मण्डल के पुरवा पिपरिया ग्रीष्मकालीन धर्मोत्सव में सर्वसम्मति से डॉ भीमराव अम्बेडकर जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल को खुन खुन जी गर्ल्स डिग्री कॉलेज चौक, लखनऊ में प्रांतीय धर्मोत्सव आयोजित करने का निर्णय लिया गया। लखनऊ के अध्यक्ष राजेश पांडेय ने कहा कि अनेकों संत-महापुरुषों ने धर्म के साथ-साथ राष्ट्र को संगठित व समाज को जागृत करने में विशेष योगदान दिया।कहा कि शिवोपासना, शिव के ध्यान और भजन से जीवन सुखमय हो जाता है। परिवारों में सुख शांति स्थापित होती है। मंडलाध्यक्ष आचार्य अशोक ने कहा कि आत्मचिंतन से श्रेष्ठ मूल्यों को जीवन में उतारने का मार्ग प्रशस्त होता हैं।

रवि वर्मा ने बताया कि जीवन अनमोल है। इस अनमोल जीवन के महत्व को समझते हुए एक एक क्षण का उपयोग करते हुए आत्मचिंतन करें।और समग्र जीवन को सफल बनाएं। डॉ नन्हें लाल ने कहा कि विश्व के विभिन्न देशों में संतों की एक लम्बी श्रृंखला दिखायी पड़ती है। किन्तु भारतीय संत परम्परा को सर्वोपरि माना गया है। त्याग, तपस्या और लोक कल्याण के लिए ही संत धरती पर विचरण करते हैं।
लखीमपुर के जिलाध्यक्ष जमुना प्रसाद ने कहा कि शिव सत्संग मण्डल के संस्थापक संत श्री कृष्ण कन्हैया एवं संत श्रीपाल जी महाराज ने समाज को जाग्रत कर सत्य की राह दिखाई।

जिला महामंत्री रविलाल ने कहा कि आत्मविश्वास को जगाइये , अंधविश्वास को दूर भगाइए। भय मुक्त जीवन का आनन्द लीजिए।सत्य को जानने और समझने के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती कृत सत्यार्थ प्रकाश का स्वाध्याय अवश्य ही करना चाहिए। बहन मीरा देवी ने शिव नाम की महिमा बताते हुए कहा कि परमात्मा शिव के तत्व ज्ञान से जीवन में श्रेष्ठता आती है और बुराइयों का विनाश होता है। शाहजहांपुर के डॉ रोहित वर्मा ने बताया कि शिवोपासना , शिव के ध्यान और भजन से जीवन सुखमय हो जाता है। परिवारों में सुख शांति स्थापित होती है।आत्मचिंतन से श्रेष्ठ मूल्यों को जीवन में उतारने का मार्ग प्रशस्त होता हैं।

बहन सुदामा देवी ने बताया कि परमेश्वर के भजन से ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है। सत्संगी राम निवास ने बताया कि जिस मनुष्य के पास न विद्या है , न तप है न दान देने की प्रवृत्ति है।वह मनुष्य पशु तुल्य है। दान देना तो प्रकृति से सीखना चाहिए।कहा कि जब भी दान की बात है राजा हरिचंद्र, कर्ण का दान आदि का नाम सबसे पहले लिया जाता है। शास्त्रों में दान देने के बारे में विस्तार से बताया गया है। दान के बारे में कहा जाता है कि दान देने के लिए हमें प्रकृति से सीख लेनी चाहिए, जिस तरह वृक्ष परोपकार के लिए फल देते हैं, नदियां परोपकार के लिए फल देती हैं उसी तरह मनुष्य को भी दान करना चाहिए। केंद्रीय संयोजक अम्बरीष कुमार सक्सेना एवं मोहित राजपूत के संयुक्त संचालन में हुए पुरवा पिपरिया धर्मोत्सव में राम चन्द्र , राज कुमार , भैया लाल , वंदना , नेहा , खुशबू , एवं अंशुलता ने प्रेरणादाई भजन सुनाए। कार्यक्रम का शुभारंभ शिव सत्संग मण्डल के शिक्षक/प्रचारक प्रेम भाई ने दीप प्रज्वलित कर , बहन श्रुति ने सामूहिक ईश प्रार्थना से किया। समापन पर सभी सत्संगी बंधु बहिनों ने 14 अप्रैल को प्रांतीय धर्मोत्सव भव्यता पूर्वक मनाने का शिव संकल्प लिया।