अनोखी हैं इस देश के नए राष्ट्रपति की कहानी : जूते पॉलिश व बेचते थे मूंगफली ,

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
ब्राजील में हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनावों के नतीजे आ गए हैं. अब वामपंथी नेता लूला दा सिल्वा ब्राजील के नए राष्ट्रपति होंगे. हालांकि बोलसोनारो यह चुनाव बहुत कम अंतर से हारे हैं और करीब तीन दशक के बाद ब्राजील में ऐसा हुआ है कि कोई राष्ट्रपति अपने दूसरे कार्य़काल में नहीं आ पाया है. फिलहाल नए राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा की चर्चा दुनियाभर के मीडिया में हो रही है. इसकी वजह उनका अतीत है. एक आदमी जो कभी बूट पॉलिश करता था आज वह ब्राजील का राष्ट्रपति बन गया है. आइए आपको बताते हैं लूला दा सिल्वा का सफर.

गरीब परिवार से था ताल्लुक:
लूला दा सिल्वा की सफलता की कहानी काफी हद तक फिल्मी लगती है. उन्हें जो सजा मिली थी, वही उनके लिए वरदान बन गई. दरअसल, वर्ष 2018 में करप्शन के आरोप लूला दा सिल्वा पर लगे और इस आरोप की वजह से उन्हें जेल जाना पड़ा. जेल जाने की वजह से उनसे वोटिंग के अधिकार भी छीन लिए गए. लूला दी सिल्वा काफी गरीब परिवार से संबंध रखते थे. पिता किसान थे और घर में कुल 7 भाई-बहन थे. परिवार बड़ा था तो गुजारा मुश्किल से होता था. उनकी उम्र जब 7 साल थी तो उनका पूरा परिवार काम की तलाश में ब्राजील के औद्योगिक केंद्र साओ पॉलो में आकर रहने लगा.

घर चलाने के लिए किए ऐसे काम:
साओ पॉलो आकर लूला का संघर्ष शुरू हुआ. यहां उन्होंने पॉलिटिक्स में आने से पहले 14 साल तक ऐसे काम किए जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते. उन्होंने यहां घर चलाने के लिए जूते पॉलिश का काम किया. कुछ दिन तक इन्होंने मूंगफली भी बेची थी. फिर अचानक इनकी जिंदगी में यू-टर्न आया. वर्ष 1960 में काम करते-करते एक हादसे में इनकी उंगली कट गई. बात वर्ष 1970 की है, तब सेना की तानाशाही शासन के दौरान ही इन्होंने राजनीति में एंट्री की.

1980 में बनाई अपनी पार्टी:
1980 में इन्होंने अपनी वर्कर्स पार्टी का गठन किया. पार्टी बनाने के बाद 9 साल बाद वह राष्ट्रपति पद के दावेदार भी बन गए थे. हालांकि वर्ष 1989 से 1998 तक लूला ने राष्ट्रपति के लिए जो भी तीन चुनाव लड़े उन सभी में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2002 में उनकी किस्मत पलट गई और वह पहली बार देश के राषट्रपति चुने गए.

सोशल वेलफेयर प्रोग्राम ने बना दिया स्टार:
लूला की निजी जिंदगी भी काफी चुनौती वाली रही. दो पत्नियों की मौत के बाद 72 साल की उम्र में इन्होंने तीसरी शादी की. वर्ष 2003 से 2010 तक जब यह राष्ट्रपति रहे तो इन्होंने अपने कार्यकाल में एक सोशल वेलफेयर प्रोग्राम चलाया जिसका व्यापक असर हुआ. ब्राजील की अर्थव्यवस्था भी बेहतर हुई. इसके बाद दा सिल्वा को मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामले में जेल की सजा हुई और उन्हें 580 दिन जेल में रहना पड़ा. हालांकि बाद में वह बेगुनाह साबित हुए. ब्राजील सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें निर्दोष करार देते हुए रिहा करने के आदेश दिए.