हरदोई – खेतों में घूम रहे आवारा पशुओं को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश ,

रोहित दीक्षित
रीडर टाइम्स न्यूज़
आवारा पशुओं को लेकर सरकार तमाम दावे कर रही है कि इनके सरंक्षण के लिए हर गांव में गौशाला बनवा दी गई है. जिसमें उनकी देखरेख के लिए संरक्षक के खाते में धनराशि मुहैया कराई जाती है. शहरों में या कस्बों में बनी गौशालाओं में भी आवारा पशुओं के रखरखाव के लिए शासन प्रशासन द्वारा नियमित औपचारिकताएं दिखाई जाती है. लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं है. ऐसा ही मामला ब्लाक सांडी के आदमपुर गांव में देखने को मिला आवारा पशुओं ने ग्रामीणों के खेतों पर हमला बोलकर उनकी फसलों को बर्बाद कर दिया था. लगातार किसान रात रात भर जाग कर अपनी फसल बचाने का कार्य कर रहे थे. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद वह अपनी फसल को सुरक्षित नहीं कर पा रहे थे. कटीले तारों को लेकर भी सरकार की गाइडलाइन जारी कर दी गई है. ऐसे में किसान अपनी जीविका को लेकर अत्यंत परेशान दिखाई दिया और हड़बड़ाहट में एक साथ सारे ग्रामीणों ने इकट्ठे होकर सभी आवारा पशुओं को चारों तरफ से घेर लिया और खाली पड़े गौशाला में ले जाकर उनको बंद कर दिया अचानक इतने पशु एवं जानवर देखकर गौशाला की रखवाली कर रहे व्यक्ति भी हक्के बक्के रह गए ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए तत्काल स्थानीय सांडी थाना प्रभारी को सूचना दी गई. मौके पर पहुंचकर थाना अध्यक्ष राजदेव मिश्रा एवं एसडीएम बिलग्राम ने स्थिति काबू करने की पूरी कोशिश की काफी समझाने बुझाने के बाद मामले को शांत कराया ग्रामीणों की मांग थी. कि सरकार लगातार दावे कर रही है कि आवारा पशुओं को लेकर तमाम घोषणाएं कर रखी है. लेकिन यहां के गौशाला संरक्षक गायों को खुला छोड़ देते हैं. वह उनकी फसल को बर्बाद कर देते हैं .आवारा पशुओं एवं गाय को लेकर आज भी किसी भी गांव में गौशालाओं में गाय के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं मिलेगी अभी हाल ही में देखने को मिला गौशाला में गाय को समय पर चारा पानी ना मिलने के कारण कई गाय मृत पाई गई उनकी देखरेख को लेकर सरकार द्वारा जो बजट जारी किया जाता है. वह बिचौलिए खा जाते हैं. कागज पर तो हजारों गाय गौशाला में दिखा देते हैं. लेकिन वास्तविकता में गाय सब किसानों के खेत में ही नजर आती है या फिर मेन रोड पर हादसे का कारण बनती है जिसे कई बार लोगों की जान भी चली जाती है और यह मामला सिर्फ एक गांव का नहीं है अधिकतर गांव में प्रधान व सेक्रेटरी की मिलीभगत से गौशाला सिर्फ कागज पर ही नजर आती है अब देखना यह है शासन प्रशासन इसको कितनी गंभीरता से लेता है एवं आवारा पशुओं को लेकर उनके नाम पर रुपए लूटने वालों पर क्या कार्रवाई करती है. और किसानों की फसल उनके जीवन यापन को कैसे सुरक्षित रखती है.