यूपी एंड उत्तराखंड के मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ने – बृजेश पाठक के आदेश को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा ज्ञापन ,

शिवधीश त्रिपाठी
रीडर टाइम्स न्यूज़
हरदोई जिले की उत्तर प्रदेश एंड उत्तराखंड मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के आदेश के विरोध में जिले के सिटी मजिस्ट्रेट को हरदोई यूपीएमएसआरए ने एक ज्ञापन सौंपा जिसमें सभी दवा प्रतिनिधियों ने विरोध जताया बताते चले कि अभी कुछ दिन पहले फर्रुखाबाद के जिला अस्पताल में औचक निरीक्षण के दौरान उप मुख्यमंत्री व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री बृजेश पाठक ने अपने आदेश में कहा था कि अगर किसी भी जिला अस्पताल में कोई एमआर किसी डॉक्टर से मिलता हुआ पाया गया जिसमें वह अपनी दवा के बारे में अपनी कंपनी के बारे में डॉक्टर को बताते हुए मिला तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी यही नहीं उनका तो यहां तक कहना था उसको पकड़ कर तत्काल जेल भेज दिया जाएगा, उनके इस आदेश से पूरे उत्तर प्रदेश में हड़कंप मच गया सभी दवा प्रतिनिधियों में ऐसा डर बैठ गया कि उन्होंने इसको लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में एक व्यापक तरीके से अलग-अलग जिलों में जिला अधिकारी व सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं .

दवा प्रतिनिधियों का कहना है कि वह कोई अपराधी नहीं है जो उन्हें उठाकर जेल में बंद कर दिया जाएगा दवा प्रतिनिधि तो एक ऐसी कड़ी है जो डॉक्टर को नई-नई दवाओं के बारे में बताती है जब कोई डॉक्टर एमबीबीएस एमडी करता है तो बहुत से साल्ट एवं फार्मूले उस समय मौजूद नहीं होते हैं जो उन्होंने पढ़े हुए होते हैं बड़ी-बड़ी कंपनियां आए दिन नए-नए रिसर्च एवं प्रयोग करती रहती हैं जिससे देश में नई-नई बीमारियों को ठीक करने के लिए नए-नए फार्मूलो की दवाइयां बनाई जाती है अगर दवा प्रतिनिधि जो कि कंपनी के द्वारा एक प्राइवेट एम्पलाई होता है जिसको बाकायदा कंपनी रिटन में जॉइनिंग लेटर देती है एवं मंथली सैलरी प्रोवाइड कराई जाती है और उसको ट्रेनिंग में बताया जाता है कि जिले के प्रत्येक डॉक्टर से मिलकर वह अपनी दवाओं के बारे में पूरी जानकारी दें जिससे डॉक्टर मरीजों को नई टेक्नोलॉजी की दवाइयों से जल्दी से जल्दी ठीक करके मरीज को आराम दिला सके , हरदोई के मेडिकल रिप्रजेंटेटिव सेल्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार से संबंधित ज्ञापन जिलाधिकारी हरदोई के माध्यम से सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा जिसमें सेक्रेटरी सोमेश मिश्रा का कहना है की दवा प्रतिनिधि कोई चौर व अपराधी नहीं है जो आप उसको उठाकर जेल भेज देंगे यह तो तानाशाही आदेश हो गया .

आपने बगैर सोचे समझे इतना बड़ा फेसला कैसे ले लिया उन्होंने ज्ञापन देकर बताया कि मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव कानूनी रूप से बिक्री संवर्धन कर्मचारी के रूप में जाना जाता है जैसा की बिक्री संवर्धन कर्मचारी अधिनियम 1976 द्वारा परिभाषित किया गया है . यही नहीं दवा प्रतिनिधि डॉक्टर की रीड की हड्डी साबित होता है . अभी करो ना काल में कैसे डॉक्टरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सभी कंपनियों के दवा प्रतिनिधियों ने उनका साथ निभाया और अपनी जान जोखिम में डालकर करो ना जैसी महामारी से लड़कर तमाम व्यक्तियों की जिंदगियां बचाई है यही नहीं इस दौरान कई दवा प्रतिनिधियों ने अपनी जान तक गवाई है , दवा प्रतिनिधि विवेक अग्रवाल ने बताया कि कैसे एक एमआर डॉक्टर से मिलने के लिए पूरे सिस्टमैटिक तरीके से मरीज के जाने का इंतजार करता है जब डॉक्टर मरीज से मिलकर उसका इलाज कर लेता है फिर खाली समय लेकर डॉक्टर को अपनी नई नई दवाइयों के बारे में बताता है जो कि उस समय डॉक्टर जब एमबीबीएस कर रहा होता है वह फार्मूले उनकी लैब में मौजूद नहीं हुआ करते हैं .

अगर वह उनको नहीं बताएंगे तो कैसे लेटेस्ट शाल्ट की दवाइयों को मरीजों की प्रोवाइड करा पाएंगे जिससे उनकी सेहत में जल्द सुधार आएगा, दवा प्रतिनिधि दिव्यांशु दीक्षित ने कहा कि अगर एमआर जिला अस्पताल में नहीं जाएगा तो जिला अस्पताल के डॉक्टरो कैसे पता चलेगा नई-नई एंटीबायोटिक दवाइयां जो बाजार में अभी अभी आई है उनको कैसे प्रयोग करना है उनकी क्या डोज है यह तो कंपनियां जब दवा तैयार होती है फिर उसका प्रयोग करने के बाद ही लॉन्च करती हैं वह हम डॉक्टर को बताते हैं उसके बाद ही डॉक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार उस दवाई को प्रोवाइड कराता है, डॉक्टर चाहे जितना भी होशियार हो लेकिन समय के अनुसार नई-नई दवाइयां मार्केट में आती रहती हैं नई नई खोजों के बाद नए नए फार्मूले मार्केट में आते हैं जो कि सभी डॉक्टरों को कंपनियों के द्वारा जो कि उनके प्रतिनिधि हम लोग होते हैं बताते हैं तभी वह डॉक्टर सभी मरीजों को उनकी बीमारी के अनुसार दवाई देते हैं और अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं अगर डॉक्टर अपने कर्तव्यों का पालन मरीज को ठीक करने के लिए करता है तो हम लोग भी मरीज को ठीक करने के लिए अपने कर्तव्यों का पालन डॉक्टर से मिलकर नई-नई दवाइयों की जानकारी देते हैं.

अब देखना यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार इसको कितनी गंभीरता से लेता है यहां सवाल सिर्फ मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का जिला अस्पताल में डॉक्टर से मिलने का नहीं है, बताते चलें सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही हजारों छोटी-बड़ी कंपनियां काम करती हैं जिसमें लाखों दवा प्रतिनिधि कंपनी के परमानेंट एम्पलाई के रूप में काम करते हैं जिससे उनका परिवार एवं जीवन यापन चलता है अगर सरकार इसको गंभीरता से नहीं लेगी तो आने वाले समय में बेरोजगारी की समस्या भी निश्चित बढ़ेगी और जो केंद्र एवं राज्य सरकार का युवाओं को रोजगार देने का वादा है वह फेल होता हुआ नजर आएगा .