हिन्दू धर्म में मंदिर के दर्शन के बाद : सीढ़ियों पर बैठने की क्यों है परंपरा – जानें लाभ ,

रिपोर्ट : डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
हिन्दू धर्म कि एक परम्परा हैं जो पुराने वक्त से चली आ रही हैं . कि मंदिर में पूजा करने के बाद सभी लोग अक्सर बाहर सीढ़ियों या चबूतरे पर बैठ जाते हैं . समय हो या न हो पर कुछ देर बैठा जाता हैं . जोकि हिन्दू धर्म में इसकी एक खास वजह हैं .आजकल लोग मंदिर कि पैड़ी पर बैठे नजर आते हैं . यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई है. दरअसल, मंदिर के पैताने पर शांति से बैठकर एक श्लोक का पाठ करना चाहिए. जोकि आज के लोग इस श्लोक को भूल गए हैं.

ये श्लोक इस प्रकार है:
“अनायासेन मरणम्, बिना देन्येन जीवनम्।
देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम्॥”

अर्थः
“अनायासेन मरणम्’ का अर्थ है – कि मृत्यु, बिना किसी परेशानी के हो. हमें अंत के वक्त में बिस्तर न पकड़़ना पड़े. हे ईश्वर हमें बिना कष्ट के अपने पास बुला लेना, हमारे प्राण चलते फिरते ही निकल जाएं.

‘बिना देन्येन जीवनम्’ का अर्थ है – कि हमें परवशता का जीवन मत देना, जिससे हमें कभी किसी के सहारे ना पड़े रहना पड़े. जैसे कोई लकवा हो जाने पर किसी दूसरे पर आश्रित हो जाता है हमें वैसा बेबस कभी मत करना. बिना किसी से मांगे हमारा जीवन बसर हो.

‘देहान्त तव सानिध्यम्’ का अर्थ है – कि जब भी मृत्यु आए तो उसे भगवान की उपस्थिति में रहने दो. जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय ठाकुर कृष्ण जी स्वयं उनके सामने खड़े थे. इस दर्शन करते-करते प्राण छूट जाएं.

‘देहि मे परमेश्वरम्’ का अर्थ है – कि हे परमेश्वर हमें ऐसा वरदान देना.
भगवान से प्रार्थना करते समय श्लोक का पाठ जरूर करें. इस दौरान किसी भी अन्य तरह के विचार मन में न लाएं. दर्शन के बाद बैठकर इन मंत्रों का जाप जरूर करें.