पेट्रोल पर लगा जीएसटी तो मिलेगी सबको राहत

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सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि महंगाई के इस दौर में भी ऐसा बहुत कम ही होता कि देश भर में एक ही उत्पाद के दामों को लेकर बवाल मचा हो। दिल्ली में प्याज का किस्सा शायद आपको याद हो, जिसके दामों ने सरकार के लिए आफत पैदा कर दी थी। आजकल ऐसा ही कुछ पेट्रोल-डीजल के साथ है, पेट्रोल और डीज़ल के दाम लगातार ग्यारहवें दिन भी छलांग लगा चुके हैं| इस समय देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल सत्तहतर रूपए के पार है और डीज़ल अड़सठ रूपए लीटर से ऊपर| पिछले दस दिन में पेट्रोल की कीमत पौने तीन रूपए लीटर तक बढ़ चुकी है और डीज़ल के दाम, लगभग ढाई रूपए लीटर तक महंगे हो गए हैं| सरकार कह रही है कि वो तेल के दाम को ले कर गंभीर है| लेकिन उस गंभीरता का नतीजा क्या है, ये किसी को अब तक दिखाई नहीं दिया है| ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम को पेट्रोल वाला चैलेंज दे दिया है|

मोदी का सबसे बड़ा सरदर्द

पेट्रोल-डीजल के दाम कैसे काम होंगे, इस बात का अब तक कोई रास्ता नहीं निकल पा रहा है| मोदी और उनके मंत्री कह रहे हैं कि जल्द ही इस मोर्चे पर राहत दी जाएगी लेकिन वो कैसे मिलेगी राहत, अभी खबर नहीं। मोदी सरकार का सिरदर्द बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम ने भी मोदी के नाक में दाम कर रखा है । वही दूसरी तरफ विपक्षी दलों का कहना है कि अगर मोदी सरकार चाहे तो टैक्स घटाकर पेट्रोल के दामों में काफी कमी ला सकती है। लेकिन वो ऐसा कर नहीं रही है। क्योकि जैसे ही टैक्स की बात चलती है तो एक बार फिर ये चर्चा चल पड़ती है कि क्या पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए ताकि उस पर टैक्स कम लगे और ग्राहकों को भी फायदा हो। लेकिन पहले पेट्रोल के दाम और टैक्स के खेल को समझ लिया जाए। 25 मई को इंडियन ऑयल के पेट्रोल का दाम राजधानी दिल्ली में 77.83 रुपए प्रति लीटर था।

आखिर कितना है पेट्रोल-डीजल का दाम और कितना लगता है टैक्स

अगर पेट्रोल का प्राइस बिल्डअप देखा जाए तो डीलरों को पेट्रोल 37.19 रुपए प्रति लीटर की दर पर मुहैया कराया गया। इसमें 19.48 रुपए प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी और 16.55 रुपए प्रति लीटर का वैट जोड़ा गया। साथ में 3.63 रुपए प्रति लीटर का डीलर कमीशन भी इसमें डाला जाए तो दाम 77.83 रुपए प्रति लीटर पहुंच जाते हैं। वही दूसरी ओर अगर डीजल के दाम देखे तो 39.99 प्रति लीटर में मिलता है| इसमें
2 .52 डीलर कमीशन और 15.33 एक्सीडे डुयटी और 9.98 राज्य सरकार का वैट लग कर डीजल की कीमत हो जाती है 67.८२ हो जाती है| कांग्रेस छोड़िए, भाजपा के नेताओं को भी इस मामले की संजीदगी पता है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि अगर केंद्र जीएसटी (उत्पाद एवं सेवा कर) पर आम सहमति बना लेता तो पेट्रोल-डीजल के दामों में काफी कमी आ सकती है।

क्या है जीएसटी

अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो आम लोगों की मौज तय है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार को इससे नुकसान हो सकता है। 25 मई के दाम देखें तो साफ है कि अगर टैक्स न लगें तो पेट्रोल के दाम काफी नीचे आ जाएंगे। 77.83 रुपए प्रति लीटर का दाम टैक्स (एक्साइज ड्यूटी और वैट) हटने पर 41.8 रुपए प्रति लीटर रह जाएगा। अगर इसमें 28% की दर से जीएसटी जोड़ लिया जाए तो भी ये 53.50 रुपए प्रति लीटर बैठेगा। यानी मौजूदा दर से 24.33 रुपए कम। अगर एक लीटर पेट्रोल 77 रुपए के बजाय 53 रुपए में बिकने लगे तो ये कितनी बड़ी राहत होगी|

क्या सच में आसान होगा यह सफर

”ये निर्णय अब जीएसटी काउंसिल कर सकती है, जिसमें राज्यों को प्रतिनिधि भी शामिल हैं। इन दिनों भले नेता इस तरह के बयान दे रहे हों, लेकिन वो ज्यादा से ज्यादा इस मुद्दे को काउंसिल की बैठक तक ले जा सकते हैं।” लेकिन अगर पल भर को मान लिया जाए कि ऐसा होता है, तो क्या होगा? उन्होंने कहा, ”अगर सिद्धांत रूप से बात करें तो पेट्रोल के जीएसटी के दायरे में आने पर कीमतों में काफी कमी आनी चाहिए, लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा।” सरकार ने पहले जिन उत्पादों पर जीएसटी लगाया, उन पर उसे इस तरह लागू किया गया कि ग्राहकों तक राहत नहीं पहुंची। सरकार को ग्राहकों से ज्यादा चिंता टैक्स से होने वाली कमाई की है।” जानकारों के मुताबिक पेट्रोल पर जो वैट अभी लगता है, वो पुराने सेल्स टैक्स का नया नाम है। इसका जीएसटी से कोई लेना-देना नहीं है। तो यह खुद राज्य सरकार को तय करना होगा की वो कितना वैट लगाए|