पाकिस्तान में नहीं होगी ‘ वीरे दी वेडिंग ‘

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मुंबई। पाकिस्तान में भारतीय फ़िल्मों को बैन करने की रफ़्तार तेज़ हुई है। बात-बात पर बॉलीवुड फ़िल्म की रिलीज़ को रोक दिया जाता है। ‘वीरे दी वेडिंग’, को भी पकिस्तान में बैन कर दिया गया है। जिसे अभद्र भाषा और आपत्तिजनक संवादों के आरोप में बैन किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जब पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म देखी तो सभी सदस्यों ने एकमत से इस पर रोक लगाने का फ़ैसला किया।

हालांकि भारत में भी फ़िल्म को एडल्ड सर्टिफिकेट दिया गया है। शशांक घोष निर्देशित वीरे दी वेडिंग All Women फ़िल्म है, जिसके सभी मुख्य पात्र फीमेल हैं। इन चरित्रों को करीना कपूर, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर और शिखा तलसानिया ने निभाया है। सुमित व्यास, करीना के प्रेमी का किरदार निभा रहे हैं। फ़िल्म आज़ाद ख्याल लड़कियों की ज़िंदगी को नज़दीक से दिखाती है, जिसमें अपनी किसी भी पसंद या नापसंद को लेकर बेचारगी या हीनता का भाव नहीं होता। वैसे तो कथ्य की ज़रूरत के हिसाब से भारतीय फ़िल्मों की नायिका पहले भी पर्दे पर गाली देती रही है, मगर इतना भाषा का इतना खुलापन संभवत: पहली बार है। संवादों में भी किरदारों की आज़ाद ख्याली झलकती है। फ़िल्म एक जून को रिलीज़ हो रही है।

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ऐसी और भी फिल्मे है जो पाकिस्तान में बैन कर दी गई । बैन की गई फिल्मे :-

मेघना गुलज़ार की ‘राज़ी’ भी पाकिस्तान में रिलीज़ नहीं हो सकी, जिसमें आलिया भट्ट ने लीड रोल निभाया। इसी साल आयी नीरज पांडेय की फ़िल्म ‘अय्यारी’ इसलिए प्रतिबंधित की गयी थी, क्योंकि इसमें भारतीय सेना को पृष्ठभूमि में दिखाया गया है।

2017 में आयी ‘नाम शबाना’ को कुछ दृश्य हटाने के बाद रिलीज़ की अनुमति मिल गयी थी, मगर इस्लामाबाद के एक सिनेमाघर में फ़िल्म का प्रदर्शन अनिवार्य एडिटिंग के बिना ही कर दिया गया, जिसके बाद सेंसर बोर्ड ने पूरे पाकिस्तान में फ़िल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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2015 में आयी नीरज की फ़िल्म ‘ बेबी ‘ का पाकिस्तान में बैन होना फिर भी तर्कसंगत लगता है, क्योंकि दुनियाभर में वांछित एक आतंकवादी सरगना को भारतीय एजेंटों द्वारा पकड़कर लाए जाने की कहानी पर बनी ये फ़िल्म पाकिस्तान को आईना दिखाती है।

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 सैफ़ अली ख़ान की ‘ फैंटम ‘ और ‘एजेंट विनोद’ पाकिस्तानी अवाम तक नहीं पहुंच चुकीं, क्योंकि हुक्मरानों को इन फ़िल्मों की कहानी हजम नहीं हुई।  सलमान ख़ान की फ़िल्में ‘टाइगर ज़िंदा है’ और ‘एक था टाइगर’ वैसे तो दोनों मुल्क़ों के बीच मोहब्बत का संदेश देती हैं, मगर फिर भी इन फ़िल्मों को पाकिस्तान में रिलीज़ से रोका गया।

  नीरज पांडेय निर्देशित ‘ एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी ‘ को पाक सेंसर बोर्ड ने बदले की कार्रवाई करते हुए बैन कर दिया था।  अक्षय की 2017 की फ़िल्म ‘जॉली एलएलबी2’ को इसलिए रिलीज़ नहीं होने दिया गया, क्योंकि फ़िल्म में कश्मीर विवाद का रेफरेंस है।  अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘पैड मैन’ महिलाओं की माहवारी के ज़रूरी विषय पर रौशनी डालती है, मगर पाकिस्तान में इस फ़िल्म को मज़हब के ख़िलाफ़ माना गया और सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म रिलीज़ नहीं होने दी।

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इससे पहले ‘ द डर्टी पिक्चर ‘ और ‘ देहली बेली ‘ अश्लीलता के इल्ज़ाम के चलते प्रतिबंधित की गयीं। अक्षय कुमार की ‘ खिलाड़ी 786 ‘ इसलिए रिलीज़ नहीं हुई, क्योंकि 786 मुस्लिमों के लिए पवित्र माना जाता है और फ़िल्म धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती थी।

मज़हब के नाम पर बैन ‘ रांझणा ‘ पाकिस्तान में इसलिए रिलीज़ नहीं हो सकी, क्योंकि हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की के बीच मोहब्बत दिखायी गयी थी। 2010 की फ़िल्म ‘तेरे बिन लादेन’ में ओसामा बिन लादेन पर व्यंग्य दिखाया गया था, लेकिन पाकिस्तान को डर था कि लादेन पर व्यंग्य उनके लिए मुसीबतें खड़ी कर सकता है। लिहाज़ा फ़िल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया।